किडनी लक्षण अचानक मिलना कितना खतरनाक (danger) / kidney lakshan achank milna kitna khatarnak (danger) hindi

किडनी लक्षण अचानक मिलना कितना खतरनाक  (danger) /Kidney lakshan achank milna kitna khatarnak ( danger) hindi
 
आज कोरोना महामारी के बाद  दूसरी बार विस्व किडनी दिवस ( world kidney day ) दुनियाभर में मनाया जा रहा है। इस बार इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने (आईएसएन)  ने वर्ल्ड किडनी डे की थीम'किडनेहेल्थ फ़ॉर एवरीवन एवरीवन - लिविंग वेल विद किडनी  डिसीज रखी है। किडनी एक दिन में खराब नही होती है इसको खराब होने में एक लंबा समय लगता है। जल्दी से यह अपने लक्षण नही देती है। इसलिये  किडनी की जांच  में देरी  हो जाती है।
यदि समय से किडनी रोग का पता चल जाये तो इससे बचा जा सकता है। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर के मुताबिक किडनी रोग की खराब बात यह है कि 70,% खराब होने के बाद भी
लक्षण सामने  नही आते है। बहुत बार बीमारी का पता चलने पर  लोग लापरवाही कर जाते है, क्योकि उन्हें परेशानी महसूस नही होती है। लखनऊ के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुविर्ज्ञान संस्थान के किडनी ट्रांसप्लांट विशेषय डॉक्टर ईस्वर राम ख्याल अमर उजाला के अनुसार
किडनी में लाखों सूक्षम फ़िल्टर होते है जिन्हें नेफ्रोल्स कहते है। नेफ्रोल्स से नुकसान होने से वह काम करना बंद कर देते है। हालांकि  स्वास्य नेफ्रॉन्स  अत्यधिक काम कर गुर्दे को स्वास्थ्य रखते है। कुछ समय बाद  बड़ी मात्रा में नेफ्रॉन्स काम करना बंद कर देते है। जिससे किडनी अचानक काम करना बंद कर देती है।।

बच्चों में तेजी से बढ़ता गुर्दा (किडनी ) रोग

अमर उजाला में छपे एक समाचार के अनुसार बच्चों में भी
गुर्दा रोग तेजी से फेल रहा है। पीजीआई लखनऊ के पीडियालोजिस्ट डॉ  एम एस अंसारी  बताते है कि बच्चों में भी गुर्दा रोग तेजी से फेल रहा है। 100 में से 10 से 15 फीसदी बच्चों को किडनी की पैदायसी बीमारी होती है। इसमें मूत्रलाय की नली और किडनी के वाल्व में तकलीपे दिखती है। इसी तरह स्वस्थ्य बच्चों की बात करे  तो 1000 में से 100 से 150 बच्चों को किडनी समन्धि रोग होते है।
अधिकतर मामलों में डायलिसिस  या।प्रत्यारोपण होता है।




गुर्दा रोग मौत का असमय  कारण

गुर्दा रोग ऐसा रोग है जो असमय मौत को दावत देता है। 8 से 10 % वयस्क जनसंख्या के गुर्दे किसी न किसी कारण 
क्षतिग्रस्त होते है जो  हर साल करोड़ो लोगो के असमय मौत का कारण बनते है। एक अनुमान के अनुसार पांच  में से एक पुरुष और चार में से एक महिला  जिनकी उम्र 64 से 74 के बीच या उससे अधिक होती है। उसे सीकेडी की आकांशा रहती है।




विशेषय का क्या कहना

विशेषय का कहना है कि  किडनी रोगियों की हाई दोसे दवाएं चलती है। जिससे इनकी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। गुर्दा प्रत्योपर्ण मरीजो को इस तरह की दवाओं पर निभर्र रहना पड़ता है। किडनी रोग से ग्रसित मरीज कोरोना संक्रमण की चपेट में आता है तो उसकी जान मुश्किल में पड़ जाती है।

आंकड़े गुर्दा  (किडनी) रोग से समझीये

1 40 फीसदी क्रोनिक किडनी  डिसीज के मरीज उम्र 30इसे 40 वर्ष।
2 55 % किडनी  रोग 40 से 70 साल के उम्र के रोगी।
3 5% मरीजो की उम्र 30 साल से कम।
4 10 में से 7 लोग डायलिसिस करवाते है। 10 में से छह लोग इलाज जारी नही रख पाते है।
5  2 लाख किडनी रोगी प्रत्यारोपण के लिये इंतजार में , किडनी डोनर सिर्फ 15 हजार।
6 1 से  डेढ़ लाख किडनी के गम्भीर  रोगियों की मौत हर साल होती है।
7 2600 सेन3000 हजार नेफ्रोलॉजिस्ट  है देश भर में।
8 10 लाख रोगियों की मौत इलाज के बिना हो जाती है।
9  20 लाख लोग दुनियाभर में  डेलिसिसिस या प्रत्यारोपण के शेयर जीवित है। 
10देश मे केवल 10% ही रोगी किडनी का इलाज करा पाते है।
11 एक लाख सीकेडी के  नये मरीज देश मे   हर साल मिलते है।
12 2.5 लाख लोग हर साल किडनी  के लास्ट रोग से पीड़ित होते है।

किडनी पर नीचे का ब्लॉक अवस्य पढ़े



















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