उत्तराखंड के प्रदीप मेहरा ( pradip mehra ) की कहानी / Story of pratik uttrakhand hindi
उत्तराखंड के प्रतीक की कहानी जो वायरल हो गयी है जिसका श्रेय फिल्मकार विनोद कापड़ी जी को जाता है। आज हम उसी प्रतीक पर बात करेगे। प्रतीक एक उत्तराखंड के गरीब किसान का बेटा है जिसके सपने फ़ौज में भर्ती होने का है। उसे पता है कि एक फ़ौज ही है जो उसको सब कुछ दे सकती है। यह सब कुछ उस उत्तराखंड के प्रतीक ने सीखा अपने आसपास के माहौल से। उत्तराखंड के लोगो मे फ़ौज में जाने का एक जनून है उसी जनून के चलते उनको देश सेवा करने का जज्बा प्राप्त होता है। आज उत्तखण्ड में रोजाना कितने ही प्रतीक फ़ौज की तैयारी करते है उनमें से बहुत सफल होते है ओर बहुत से असफल रह जाते है। प्रतीक भी उनमें से एक है। वह राजगार के साथ ही अपने उस जनून को नही छोड़ता है उसे पता है कि यही जनून उसके सपनो को पूरा करेगा। उत्तराखंड के लोग अपने देश ओर फ़ौज के लिये अपनी जान न्योछावर करने में कभी पीछे नही हटे। उत्तराखंड में शहीदों की एक लंबी लाइन है जिन्होंने दुश्मनों के दांत खट्टे बहुत बार किये। उसी दौरान वे शहीद भी हो गये। जब प्रदीप मेहरा दिल्ली में एक फ़ूड कंपनी में काम करता है उसी दौरान वह ड्यूटी से लौटते समय अपना फ़ौज में जाने का जनून के लिये रोजाना 10 किलोमीटर की दौड़ लगाता है जिसको किस्मत से विनोद कापड़ी जो उत्तराखंड मूल के है उन्होंने जब उस बच्चे का जनून देखा तो उसकी उन्होंने एक वीडियो बना डाली। वही वीडियो वायरल हुई ओर तब जाकर सरकार ओर लोगो को उसके बारे में पता चला। जब से यह वीडियो उसकी वायरल हुई है अनेकों हाथ मदद के लिये उसके लिए उठे है। जिसमे उत्तराखंड की सरकार के मंत्री विधायक सांसद सब लोगो ने उसकी मदद करने की ठानी है। उत्तराखंड के सरकारी विभाग के अफसर उसके घर मदद का हाथ के लिये पहुंच चुके है।