नरेंद्र बच्च्यो की कहानी / Children story

नरेंद्र  बच्च्यो की कहानी / Children story

नरेंद्र एक सीधा साधा बच्चा  जिसको घर गांव के लोग लड़का नाम से पुकारते थे। क्या कारण था कि लोग उसको अब भी बच्चा समझते थे इसलिये लड़का बोलकर उसको पुकारते थे। उसका कारण यह रहा कि उनके जन्म के बाद उनका जो नामकरण होना था वह नही हो पाया। अब आप सोच रहे होंगे कि उस बच्चे का नामकरण क्यो नही हुआ। बच्च्यो यह कहानी बहुत पुरानी है। यह बात उन दिनों की है जब हमारे यहां एक जगह से  दूसरे जगह जाने के लिए संसाधन नही थे। लोग पैदल ही हजारों किलोमीटर की यात्रा किया करते थे। उन दिनों  समस्या यह थी कि जब घर का कोई ब्यक्ति किसी काम से घर से बाहर  दूर निकल जाता था तो वह बहुत बार वर्षों तक घर नही आता था उसका कारण संसाधन की कमी थी। दृर कि यात्रा वो भी पैदल होने के कारण वह उस जगह पर रुक कर ही काम करना पसंद करता था । इसलिये वह ब्यक्ति अनायास ही अपने परिवार को भूल जाता है।  जिस कारण से वह ब्यक्ति कमाने के चक्कर मे पड़ जाता है ओर अपने परिवार को भी भूल जाता था। बहुत बार ऐसा ब्यक्ति वही शादी भी कर लेता था। नरेंद्र का भी इसी समस्या के कारण  उसका नामकरण नही हुआ। नरेंद्र जब अपने माँ के गर्भ में था तो उसके पिता उसको छोड़ कर  सुदूर के शहर में   कमाने के चक्कर मे चले गये थे। और फिर बहुत साल वह घर नही आये। जब वह घर आये तो नरेंद्र 10 साल का हो गया था। नरेंद्र का नामकरण नही हुआ था। इसलिये जब  नरेंद्र का  स्कूल जाने का समय आया तो मास्टर जी ने उससे उसकी माँ से उसका नाम पूछा तो वे उसका नाम बतला नही पाये। उसकी मां को बहुत दुःख हुआ  काश उसके पिता घर पर होते ओर वह उसका नामकरण कर पाते । घर गांव के लोग उसको लड़का नाम से  ही पुकारते थे। उसमे ही  सबका काम चल जाता था। किसी ने उससे उसके नाम के बारे में सोचा ही नही। लड़का बहुत होशियार था। वह पढ़ने में भी बहुत तेज था । स्कूल जाने से पहले ही उसने अनेक चीजे सीख ली थी। जब मास्टर जी ने उससे स्कूल दाखिला के समय उसका नाम पूछा तो उसने खुद ही  अपना नामकरण  कर लिया। उसने अपना नाम नरेंद्र मास्टर जी को बताया। जब लड़का ने  मास्टर जी को अपना नाम नरेंद्र  बताया तो मास्टर जी को आश्चर्य हुआ। उन्होंने उससे पूछा कि तुम्हारा इतना सुंदर नाम किसने रखा , नरेंद्र ने जवाब दिया कि उसने स्वयम से अपना यह नाम रखा।  बच्च्यो अब आपको समझ मे आ गया होगा। कि यदि आपका  भी   नामकरण नही होता है तो आप खुद भी अपना नामकरण  इस  प्रकार कर सकते है। इसमे नामकरण के संस्कार तो नही होते है  लेकिन अपना सुंदर से नाम तो आप खुद रख ही सकते है। बच्च्यो कहानी कैसी लगी यदि अच्छी लगी तो अपने दोस्ततो को भी अवस्य सुनाना।












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