कुंडली में जेष्ठ नक्षत्र विवाह में क्या परेशानी देता है

कुंडली में जेष्ठ नक्षत्र विवाह में क्या परेशानी देता है 

जेष्ठ नक्षत्र १८ नक्षत्र है। जेष्ठ का मतलब बड़ा होता है। यदि कुंडली में अन्य ग्रह शुभ हो तो जेष्ठ ग्रह का खास असर देखने को नहीं मिलता है। जिनकी कुंडली में जेष्ठ नक्षत्र होता हे उनकी परिवार में अपने से बड़े  से नही बनती है। खासतौर पर पिता से नही बनती है क्योंकि जेष्ठ का मतलब बड़ा होता है इसलिए यह नक्षत्र में जन्मे लोग किसी से दबते भी नही है।ऑफिस में किसी का दवाब इनको बर्दास्त नही होता है। अपने  सगे बड़े भाई , अपने पिता , पत्नी के बड़े भाई से इनकी नही बनती है खासकर तब जब वे लोग अपनी बाते इनके ऊपर लाधने की कोशिश करते है। कहने का मतलब यह है की इनका अपनो से मदभेद रहता है। ये स्वच्छंद जीवन जीना चाहते है। पत्नी की ये खूब सुनते है। पत्नी की बातो को खूब मानते है। अपनी पत्नी परिवार के लिए ये कुछ भी करने को सदा तत्पर रहते है। इस नक्षत्र  में  यदि शुक्र चौथे भाव में है तो यह  अविवाहित बालक को आलसी बना सकते है। मेहनत तो ये खूब करते है लेकिन फल मिलने में संघर्ष करना पड़ता है। इसलिए ऐसे शुक्र ग्रह जिनकी कुंडली में हो खासकर  उनको माणिक धारण करना चाहिए जो कm से कम ७ रत्ती का होना चाहिए। वह टेस्टेड स्टोन होना चाहिए।  जिसकी कीमत आजकल तीन हजार तक हो सकती है। यह लाल ओर गुलाबी  रंग में आता है। बहुत जल्द लाभ आपको मिलेगा। किसी जोतिषी से कुंडली दिखला सकते है। जेष्ठ जीवन में अपने पिता के घर में इनको बहुत सुख मिलता है। यह जीवन में बहुत रुपया कमाते  है। बस इनका मंगल ओर बुध ठीक हो तभी यह संभव होता है। यह नक्षत्र विवाह में कोई परेशानी नहीं देता है बस  इस नक्षत्र वाले विवाह से दूरी भी बनाते है अगर ये हठी हो जाए।।बस इनको मंगलवार के व्रत करने चाहिए।  हनुमान जी की कृपा इन पर हो जाय तो यह अपने जीवन के कष्ट से दूर रहते है। इनके।बच्चे बहुत होशियार होते है। ये अपने बच्चो को बहुत प्यार करते है।

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