घी त्योहार क्यों मनाया जाता है / Ghi tyohar kyo manaya jata he hindi

घी त्योहार क्यों मनाया जाता है / ghi tyohar kyo manaya jata he hindi

घी त्योहार उत्तराखंड वाशियो का त्योहार है जो की एक लोक पर्व है। इस लोक पर्व को मानने के पीछे जो कारण है वह असल कारण खेती है। यह हरेला पर्व की तरह है। हरेले में अनाज के बीजो को बोया जाता है वही इस पर्व को जब खेती में अनाज की बालियां आने लगती है उस खुशी में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य अपना पक्ष बदलता है तब उस खुशी में भी यह मनाया जाता है।  उत्तराखंड में एक कहावत यह है की इस दिन घी को खाना अनिवार्य है जो इस दिन घी नही खाता है वह घनेल बनता है। इस लिए इस दिन उत्तराखंड में पहाड़ी समुदाय के लोग घी जरूर खाते है ओर अपने बच्चो के पैर मुंह हाथो में घी जरूर लगाते है। उत्तराखंड के इस त्योहार को घर के स्तर पर मनाया जाता है। यह  त्योहार एक किस्म से देखा जाय तो घी के महत्व को बताता है। हमे घी खाना कितना महत्वपूर्ण है। 

इस दिन उत्तराखंड में जो ब्यंजन बनते है उनमें मुख्य बेडू की पूड़ी है जिसको भरुवा बनाया जाता है। जिसको घी में डूबा कर खाया जाता है। इस दिन जो सब्जी बनती है वह अरबी के पत्तो की बनती है जिसको बड़े चाव से खाया जाता है। उत्तराखंड के लोग त्योहार को मनाने में किसी से पीछे नहीं है। वह अपनी सास्क्रतिक विरासत को संभाल कर रखते है। चाहे वे कही भी रहे अपने त्योहारों को वे नही भूलते है । यही जिंदादिली है उत्तराखण्डियों को महान बनाती है। चाहे कुछ भी कहे घनेल का डर ही क्यों नही हो उत्तराखण्डियों ने घी की  ऊर्जा को पहचाना है ओर उसको बखूबी इस्तेमाल किया है।

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