बच्चो के विवाह के बारे में दो परिवार की सोच जाने

बच्चो के विवाह के बारे में दो परिवार की सोच जाने

हमारे मोहल्ले के संतोष जी का परिवार और हरीश जी का परिवार आमने सामने बैठकर बच्चो के विवाह के बारे में चर्चा कर रहे थे। संतोष जी का कहना था की जब तक मुझको मेरी बेटी के लायक लड़का नही मिल जाता है तब तक मैं इंतजार करुगा। हरीश जी का कहना था की अच्छे लड़के के इंतजार में तो उम्र निकल सकती है संतोष जी का कहना था की बाद के रोने से अच्छा है की बेटी का विवाह ही नही करु। मुझे क्या कमी है सब कुछ तो मेरे पास है और बेटी भी अब कमा रही है उसका पैकेज भी ठीक है। वो बिना विवाह के भी अच्छी जिंदगी काट सकती है वही हरीश जी के परिवार की सोच अलग थी। उनका मानना था की बेटी का बेटे का समय पर विवाह जरूरी है। उन्होंने अपनी सोच के अनुसार अपने बच्चो का सही समय पर विवाह भी कर दिया। आज उनके नाती पोते देख कर संतोष जी को संकोच होता है काश मेने अपनी जिद छोड़ी होती और बच्चो का विवाह समय पर किया होता। आज मेरे नाती  पोते आंगन में खेल रहे होते । उधर हरीश जी बड़े ताव से अपने नाती पोते का बखान करना नही भूलते  , वे बार बार संतोष को बतलाते की नाती ने इस बार क्लास में टॉप किया है । संतोष जी बेचारे मुरझाए चेहरा लेकर अंदर ही अंदर जल भुन रहे थे की रात दिन अपने नाती पोते की तारीफ करते रहता है। वही हरीश कभी कभी टोंट करना नही भूलते अरे बच्चो की तो सोचो । संतोष जब उनकी बात सुनता तो परेशान हो जाता आखिर आज उसने बड़ी कोशिश के बाद बेटी के लिए रिश्ता तलाश कर लिया । संतोष की बेटी को विवाह के तीन साल हो गए लेकिन बेटी की कोख खाली है डॉक्टर उम्र अधिक की बात कह रहे है और बच्चा गोद लेने की सलाह दे रहे है । संतोष जी परेशान है और अपने को कोश रहे है काश मेने सही समय पर निर्णय ले लिया होता तो आज बच्चा गोद लेने की नोबत नही आती। दोस्तो स्वास्थ्य समस्या ऐसी है की कब किसको आ जाए ये किसी को पता नही लेकिन उम्र बढ़ने पर स्वास्थ्य समस्याओं का रिस्क अधिक होता है यदि सही उम्र में विवाह जैसे सस्कार पूरे कर लिए जाए तो इससे बढ़ कर कुछ नही हो सकता।





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