कुंडली के मुताबिक सुंदर पत्नी किसे मिलेगी

कुंडली के मुताबिक सुंदर पत्नी किसे मिलेगी

कुंडली में सुंदर पत्नी मिलने का राज है क्या आप भी जानना चाहेंगे की मुझको सुंदर पत्नी क्यों मिली या मुझको सुंदर पत्नी मिली या मुझको  काली सावली पत्नी क्यों मिली । हर कोई अपने जीवन में चाहता है की उसको सुंदर पत्नी मिले। बहुत तो ऐसे है उनको जब तक सुंदर मनमुताबिक पत्नी नही मिल जाती है उनको शादी करना मंजूर नहीं होता है कुंडली में इसके लिए अनेक राज है बस हम कुछ से ही पर्दा उठायेंगे। जब शुक्र कुंडली में उच्च का होता है खासकर जिनकी कुंडली में उनको सुंदर और धार्मिक पत्नी मिलेगी। उनकी पत्नी में अनेक गुण होते है अब ये भी जान लीजिए की ऐसा क्यों होता है मित्रो ऐसा इसलिए होता है की  शुक्र प्रधान उच्च कुंडली वाले तब तक शादी करना पसंद नहीं करते है जब तक उनको सुंदर सर्व गुण प्रधान पत्नी नही मिल जाती है ये खुद आगे बढ़ कर पत्नी तलाशते है। घर की आज्ञा इस बारे में तब ही मानते है जब उनके मुताबिक पत्नी उनको मिलती है। जिनकी कुंडली के सातवे भाव में केतु हो उन पुरुषो की पत्नी भी सुंदर और गुणी होती है। और किस्मत वाली भी होती है।

घमंडी गुस्सेवाज पत्नी कैसे कुंडली से जानें

जिन लड़की या महिला की कुंडली के सातवे भाव में सूर्य हो वे बहुत कर्कश और घमंडी गुस्सेवाज होती है पति उनसे परेशान रहता है लेकिन हां ऐसे लोगो को शादी के समय कुंडली मिलान करते समय कुंडली के भाव मिलाने चाहिए गुण कम भी मिलेंगे तो चलेगा। क्योंकि जब लड़के के भी सूर्य सातवे भाव या सातवे भाव को देख रहा होगा या आठवें भाव में होगा तब बराबर की टक्कर लड़का लड़की में रहेगी लेकिन झगड़ा होने पर भी मिल पूरे जोश के साथ प्रेम भी  होगा। लेकिन पूरे जीवन में टकराव रहेगा। धन दौलत सब रहेगा । परिवार वैसे सुखी रहेगा। लेकिन सूर्य के साथ शनि यदि किसी पुरुष की कुंडली में है तो उसकी अपने बेटो से नही बनेगी। पत्नी से विवाद तो रहेगा ही।

कुंडली में  गुरु  किस भाव में शुभ फल  कारक

कुंडली में उच्च का गुरु कम ही शुभ फल देते है गुरु जिस भाव में होते है उसमे कम शुभ फल देते है लेकिन जिस भाव को देख रहे होते है उसको अच्छे शुभ फल देते है। कुंडली में तीसरे भाव का गुरु पांचवे और नव भाव को देखता है जो की शुभ फल कारक है कुंडली में नीच के गुरु भी कुछ राशियों में शुभ फल कारक होते है। कुंडली में ग्यारहवे भाव का गुरु शुभ होता है यह कुंडली में सातवे भाव को देखता है जिससे की बच्चा शिक्षा में आगे रहेगा और गुणवान पढ़ीलिखी सभ्य पत्नी मिलेगी। कर्क का गुरु भी कुछ राशियों में शुभ फल कारक है । कहने का मतलब यह है की विवाह से पहले कुंडली मिलान करवा लीजिए । किसी योग्य जोतिष से जो कुंडली और वर वधु  की योग्यता को परख सके।





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