कुंडली मिलान में वैश्य कूट मतलब प्यार आकर्षण एक दूसरे के प्रति देखना नही भूले

कुंडली मिलान में वैश्य कूट मतलब प्यार आकर्षण एक दूसरे के प्रति देखना नही भूले 

जब शादी की बात आती है तब कुछ लोग कुंडली में 21गुण मिलने पर विवाह के लिए तैयार हो जाते है जो की काफी हद तक ठीक भी है क्योंकि जब कोई सफल कुंडली जो दोष मुक्त हो वह कम से कम हजार कुंडली खोजने पर ही किस्मत से वो भी मिल सकती है हर कोई चाहता है की उनका जो रिश्ता तय हो रहा है उनमें आपस में प्रेम रहे क्योंकि बिना प्रेम आकर्षण के कोई भी एक दूसरे को बांध नही सकता है। जब की कभी कभी इसका नुकसान भी होता है लेकिन फिर भी।प्रेम तो प्रेम है हर कोई यही चाहेगा की उनके बेटे को बेटी को प्यार करने वाली पत्नी या पति मिले। जबकि बहुत बार जो लोग ज्यादा प्यार आपस में रहता है वे एक दूसरे की गलत हरकत को माफ भी कर देते है क्योंकि  बात प्रेम की है। फिर भी कोशिश करे की जब भी कुंडली मिलान करवाए उसमे  वैश्य कूट  और दोनो राशियों के स्वामी आपस में  मित्र  हो तो जोड़ी आगे जाकर  उनमें एक दूसरे के प्रति प्रेम आकर्षण  रहता है। 






कुंडली मिलान में प्रेम आकर्षण का फायदा कैसे जाने

कुंडली मिलान में एक दूसरे के प्रति  प्रेम ,आकर्षण , समर्पण क्यों मिलान  जरूरी है और इसका जोड़े के लिए क्या फायदा हो सकता है जैसे की शब्दो से ही पता चल रहा है की प्रेम आकर्षण   जीवन के लिए जरूरी है इसके बिना जीवन होते हुए भी कुछ खोया खोया सा लगता है जब कुंडली में प्रेम आकर्षण होगा तो दोनो के राशियों के स्वामी आपस में मित्र होगे तो उस नए बनने वाले जोड़े में भी प्रेम दिखेगा। प्रेम आकर्षण का फायदा सुख में तो मिलता ही है असली फायदा इसका दुःख में मिलता है जब एक साथी को तकलीफ होती है तब दूसरा साथी उसकी मजाक नही उड़ाएगा  मतलब किसी किस्म की लापरवाही नही करेगा जरूरत पड़ने पर मसाज करेगा चिकित्सक को दिखाने में देरी नही करेगा। करने को तो दूसरे लोग भी यह करेगे लेकिन जो ये जोड़ा करेगा वैसा वे नही कर पाएंगे। क्योंकि दोनो में प्रेम आकर्षण और साथ में समझ भी अच्छी होती है दोनो लोग सपोर्टिंग भी होते है कुछ लोग मुंह से तो सपोर्टिंग बोलते है लेकिन असल में वे होते नही है इसलिए अपने बच्चो के लिए अन्य गुणों के अलावा  वैश्य कूट पर भी ध्यान जरूर देना चाहिए।  वैश्य कूट में दो अंगो में एक अंक जरूर होना चाहिए लेकिन जिनकी उम्र 35 या 40 के बीच है उनको तो शादी होने से मतलब है वह इसको छोड़ भी देगे तो कोई बात नही क्योंकि तब तक लोग समझदार मतलब परिपक्व की भूमिका में आ जाते है उनके पास कोई ऑप्शन भी नही होता है। आजकल लोगो को  कुंडलिया लोगो को मिल नही रही है लडके लड़कियों का मानो अकाल है सभी परेशान लगते है लेकिन बात करने को कोई तैयार नहीं। जो  कुंडलियां मिल रही है उनमें उनको पैकेज की समस्या आ जाति है ऊपर से बच्चो की उम्र बढ़ रही है  रुपया पैसा संपति किस काम की यदि अपने बच्चो को सही समय पर उनका विवाह नही कर पाए आपकी अपनी पोजीशन बेकार है  जब सब कुछ होते हुए भी यदि  बच्चो की उम्र 30 खासकर लडकियो के मामले में तो बहुत होती है क्योंकि लड़के की अगर 33 या ,35 है तो वह फाइव ईयर का गैप  चल जाता है खैर जो की चलता तो नही लेकिन मजबूरी में चलाना पड़ता है जो किसी और की नही खुद  का डिसीजन देरी से लेने के कारण झेलना पड़ता है । 35 साल के बाद आधा बुढ़ापे में  लोग पहुंच जाते है फिर शादी बस परिवार बसाना है रिसता निभाना है यही सब होता है। इसलिए शर्म लाज छोड़िए और आज से ही अपने बच्चो के लिए उत्तम वर कन्या का चुनाव समय पर कीजिए। जरूरत पड़ने पर अगर  आपने भूल से किसी रिश्ते को पहले मना भी किया था तो कोई बात नही दुबारा उन लोगो से किसी माध्यम से संपर्क कीजिए और अपने बच्चो की बात आगे बढ़ाए क्योंकि सभी यही सब झेल रहे है आपकी बात का कोई बुरा नही मानेगा आप कोशिश तो कीजिए सफलता आपके हाथ होगी। यदि हमारी बाते अच्छी लगे तो अपने लोगो को जरूर शेयर कीजिए।
















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