आजकल के टीवी सीरियल सिनेमा नैतिकता खोते हुए

आजकल के टीवी सीरियल सिनेमा नैतिकता खोते हुए

आजकल के टीवी सीरियल सिनेमा कुछ देर का मनोरंजन तो करते है ओर हँसी का मौका देते है लेकिन जितनी जल्दी यह हमारे मन मस्तिष्क में छाते है उतनी ही जल्दी यह विलुप्त भी हो जाते है आखिर इसका कारण क्या है। दोस्ततो इसका एक ही कारण है नैतिकता की कमी। आप ऐसे समझो जैसे कि एक तरह अंग्रेजी दवाई  ओर दूसरी तरह आर्युवेदिक दवाई। जहाँ अंग्रेजी दवाई किसी एक मर्ज को ठीक करती है ओर साथ ही अनेक उसके साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते है वही दूसरी तरह आर्युवेदिक दवाई जिसको हम लेते तो एक मर्ज के लिये लेकिन अनेक मर्ज उससे ठीक हो जाते है। आर्युवेद की दवा का कोई साइड इफ़ेक्ट भी नही होता। आज जो टीवी के लिये सीरियल  बन  रहे है उनमें ज्ञान का तो अभाव है ही साथ ही वे परिवार को तोड़ने का काम करते है।  परिवार को तोड़ने का मत्तलब प्रथम दृष्टया उनको हम अपने परिवार के साथ देख नही सकते है तो इसका मतलब हो गया कि वो परिवार को तोड़ रहे है। एक जमाना था जब टीवी सीरियल सिनेमा को परिवार एक साथ बैठ कर चाय की चुस्कियों के साथ देखते थे। जब से मोबाइल पर टीवी सीरियल ओर सिनेमा  दुनिया देखने लगी है तब से तो ओर गजब हो गया है। लोग अपनी नॉकरी , भोजन , नींद के प्रति भी लापरवाही करने लगे है। आजकल मोबाइल गेमों ने भी गजब ढाया है दुनिया मोबाइल  गेम की दीवानी हो गयी। बच्चो  ओर बुजुर्को को समय  पर नाश्ता भोजन भी नही मिल पा रहा है। आँखे का सदुपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है। इसलिये हमारा यही कहना है कि अपनी लाइफ स्टाइल को बदलो ओर उसमे नैतिकता लाओ। जिससे आने वाली पीढ़ी को इतना ज्ञान तो मिल ही जाय कि अपने बच्चों और बुजुर्को कि सेवा कैसे करे। बुजुर्को को आदर मानसम्मान  की जरूरत होती है  समय पर उनको भोजन दवाई चाहिये। इतना ज्ञान तो अपने मे समेठ लीजिये। यदि यही हाल रहा तो बच्चे माता पिता का सम्मान करना भूल जाएंगे। जिसका खामियाजा तुम्हे भी भविष्य में  भुगतना होगा।
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