अटल बिहारी बाजपेयी ओर कल्याणसिंह जी का वो यादगार भाषण
यह बात उन दिनों की है जब मैं इंटर की परीक्षा पास करके गाजियाबाद अपने दीदी के घर गया था। उन दिनों हमारी आर्थिक हालात आज जैसे नही थे । लेकिन इतने बुरे भी नही थे। हमारे दो भाई सरकारी नॉकरी करते थे। उनमें से एक फ़ोर्स में थे । दूसरे भाई साहब डाकखाने की सरकारी नॉकरी करते थे। पर उनकी तनख्वाह कम थी। घर पर हमारी दूध की डेयरी भी थी। उससे घर का खर्चा चल जाता था। भाई लोग जो पैसा कमाते थे उसको घर के लोग जमा करके रखते थे और समय पर जमीन वगैरह खरीद लेते थे। दूसरा उनका पैसा घर बनाने के कार्य मे इस्तेमाल करते थे। इसी तरह समय चल रहा था। अब क्योकि मेने इंटर कर लिया था ओर मुझे भी कुछ कमाना था । इसलिये मैं नॉकरी की खोज में गाजियाबाद चला गया । जब मैं गाजियाबाद में रहने लगा ओर अपनी प्राइवेट जॉब करने लगा। तभी 1984 या 1985 में मुझे पता चला कि श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ओर कल्याण सिंह जी का भाषण एक कॉलेज के ग्राउंड में होने वाला है । क्योंकि मैं नॉकरी करता था परंतु मेरा झुकाव हिंदुत्व ओर देश भक्ति की ओर था। अटल बिहारी जी के भाषण देश भक्ति ओर हिंदुत्व से ओतपोत होते थे। इसलिये मेने अपनी नॉकरी पर नही जाने का निर्णय लिया ओर उनका भाषण सुना। जब दोनों नेताओं का भाषण सुना तब जाकर मेरी प्यास बुझी। उस दिन मेने भोजन भी नही किया क्योकि यदि भोजन के चक्कर मे रहते तो हम आगे जाकर उनका भाषण सुन नही पाते। उस समय काग्रेश का बोलवाला था। इंद्रा गांधी जी की हत्या के कारण लोग गुस्से में थे ओर काग्रेश की ओर लोगो का झुकाव भी था। दुखः मुझे भी ब्यक्तिगत तोर पर था ओर उस चुनाव में काग्रेश आराम से जीत गयी थी। क्योकि मेने अटल जी का भाषण सुना था। उनकी बाते मेरे दिमाक में थी इसलिये मेरा पहला वोट बीजेपी को ही गया ओर आज भी राजनीति से दूर हु लेकिंन मेरा वोट बीजेपी को ही जाता है उसका कारण सिर्फ अटल जी के भाषण से मन बदलाव ही था।