कल्लू ओर मल्लू बच्च्यो की कहानी कल्लू ने नही मानी मल्लू से हार क्यो
बच्च्यो आज हम कल्लू ओर मल्लू की कहानी सुनाते है। कल्लू ओर मल्लू शहर के बच्चे थे। जैसा कि बच्च्यो आपको पता होगा कि शहर में हर चीज आसानी से मिल जाती है। कल्लू ओर मल्लू दोनों दोस्त थे। दोनों स्कूल एक साथ जाते थे लेकिन दोनों के मोहल्ले आसपास ही थे। बच्च्यो ऐसा आपलोगो के साथ भी होता होगा। कल्लू ओर मल्लू गेम्स भी एक साथ खेलते थे। पढ़ाई भी क्लास में एक साथ बैठ कर करते थे। टिफिन में एक दूसरे का शेयर भी करते थे। दोस्ती बहुत गाडी थी। उस दोस्ती में एक दिन दरार तब आ गयी जब गेम्स चल रहे थे तो उस दौरान कुश्ती चल रही थी। कल्लू ओर मल्लू भी कुश्ती लड़ने को आतुर थे। दोनों ने एक दूसरे के प्रतिद्वंदी बन कर मैदान में उतरे। मल्लू तखडा था कल्लू से तो उसने कल्लू को आसानी से पटक दिया और तीन चांस कल्लू को मिले लेकिंन वह जीत नही पाया। क्योकि उसका बदन हल्का था। बच्चों कुश्ती वही जीतता है जिसका बदन मजबूत होता है ओर साथ ही जो कुश्ती की ट्रिक्स जनता हो। मल्लू कुश्ती की ट्रिक्स तो जानता नही था लेकिन उसका बदन मजबूत था इसलिये वह कुश्ती में कल्लू से जीत जाता था। कल्लू निराश था लेकिन उसने हार नही मानी । उसने अपनी डाइट बढाई ओर अपने बदन को मजबूत बनाया। पहले वह दूध नही पिता था और न ही अंडा खाता था। उसके बाद तो उसने दूध ओर अंडा सब खाने लगा। पहले वह दाल सब्जी भी कम खाता था। अब वह सब कुछ खाने लगा। जब अगले साल स्कूल में कुश्ती का आयोजन हुआ तो कल्लू ने उसमे भाग लिया और उसका प्रतिद्वन्दी मल्लू उससे कुश्ती में हार गया। इस तरह से बच्च्यो तुम भी सब कुछ खाओ जो तुमको घर पर मिलता है। अच्छा पोष्टिक भोजन कीजिये ओर अपने को मजबूत बनाओ।