आजकल की आधुनिकता में कुछ हिंदू महिलाए का सिंदूर छोड़ना कितना ठीक

आजकल की आधुनिकता में कुछ हिंदू महिलाओं का सिंदूर छोड़ना कितना सही

पश्चिमी सभ्यता को चका चौद्ध में आज कुछ हिंदू महिलाओं ने सिंदूर लगाना तक छोड़ दिया। क्या हिंदू महिलाओं का  सिंदूर से किनारा करना या विशेष अवशर पर लगाना क्या कहेंगे। सिंदूर जिसको हिंदू धर्म में सुहाग की निशानी माना जाता है और इस सिंदूर के बल पर ही हिंदू धर्म में महिलाओं की तुलना देवियों से की जाती थी और आज भी महिलाओं की तुलना देवी संबोधन से की जाती है। जिस तरह से हिंदू धर्म में देवी जी को  सृंगार के समान जैसे सिंदूर ,बिंदी  चूड़ी, मेंहदी, नथ , कंघा चढ़ाया जाता है  उन्ही चीजों को हिंदू महिलाए भी अपने दैनिक प्रयोग में लाती है। इस लिए हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी कहा जाता है। हिंदू धर्म जिसको सनातन धर्म का रूप है जो आदिकाल से चला आ रहा है जिसको भगवान शिव और पार्वती श्री राम सीता श्री कृष्ण भगवान देवी रूखमणी से जोड़ कर देखा जाता है उसी का पालन हिंदू धर्म में हजारों साल के बाद भी हो रहा है लेकिन हिंदू लोगो ने अपने रीति रिवाज कभी नही छोड़े इसलिए सनातन धर्म हजारों साल बाद भी आज  जीवित है। हमारे देश में अनेक महिलाए राजनेता हुई जिनमे सुषमा स्वराज प्रमुख है इस मौके पर उनसे आधुनिक और  उनके बराबर विद्वान महिला भारतीय राजनीति में नही हो सकती है जिन्होंने अपने पूरे जीवन में माथे पर सिंदूर और बिंदी को नही छोड़ा। कहने का मतलब यह है की आप आधुनिक बने लेकिन अपने रितिरीवाज नही छोड़े। दूसरे धर्म के लोगो को देखो विदेश में जाकर भी अपना पहनावा को नही छोड़ रहे है। हिंदू धर्म तो खुद आधुनिक धर्म में हमे दूसरे को नही अपनाना नही है। अपने बच्चो को ईसाई स्कूल में पढ़ाना छोड़ो। यदि पढ़ा रहे है तब अपने रितिरीवाज फॉलो करो। अरे भाई हम भारत में रहते है।
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