कुछ लोगो के लिए शादी नही करना कही मजबूरी तो नही समझे

कुछ लोगो के लिए शादी नही करना कही  मजबूरी तो नही समझे

आजकल रिश्ते तलाश करते लोग बहुत परेशान है खासकर जिनकी उम्मीदें ज्यादा है। उम्मीदें ज्यादा होना भी गलत नही लेकिन जरूरत से ज्यादा चाह खुद के लिए परेशानी का सबक बन जाती है। जब बात रिश्ते की चल रही है तो कुछ लोगो  के विवाह पैकेज कम होने की वजह से शायद नही हो पा रहे है दूसरी तरफ कुछ लोगो का विवाह अधिक पैकेज की वजह से नही हो रहा है । कुछ लोगो के पास जॉब नही है उनका विवाह वैसे नही हो पा रहा है। कहने का मतलब अधिकतर लोग परेशान है तो आखिर सुखी कोन है सुखी वो है जिसने अपनी जरूरतों और इच्छाओं को सीमित कर रखा है। आज अधिकर लोग प्राइवेट जॉब से जुड़े है सरकारी जॉब सीमित है और प्राइवेट जॉब में जब तक बंदे को 5 या 6 साल जॉब नही हो जाती है तब तक उसका अच्छा पैकेज मुस्किल होता है कुछ किस्मत वाले होते है जिनका पेकेज 3साल में बढ़ जाता है। इसलिए आजकल कुछ लोगो की तो मजबूरी बन गई है विवाह देर से करना लेकिन कुछ लोग जो जॉब पर नही है खासकर लड़किया उनको तो अच्छा जॉब वाला की लालसा होती है लालसा होनी भी चाहिए लेकिन क्या करे समाज आजकल इसी चक्कर में रिश्ते अधिकर नही हो पा रहे है। एक बात सामने यह आ रही है जो लोग लव मैरिज कर रहे है वे कुछ नही देख रहे है। वहा पेकेज , उम्र जाति जेसी कोई समस्या नही, दहेज का भी कोई झंझट नहीं, जो की सरासर गलत है लेकिन लोग कर रहे है, और गलत होते हुए भी फायदा उठा रहे है  और समय से विवाह कर रहे है जो लोग ग्रुप से जुड़े है उनके रिश्ते देरी से होते देखे जा रहे है और एक हजार में साल में एक या दो रिश्ते हो रहे है  फिर भी लोग उम्मीद से जुड़े है शायद कोई सही रिश्ता मिल जाय। एडमिन सर भी क्या करे। एडमिन किसी भी ग्रुप का हो उनकी तो तारीफ करनी ही पड़ेगी । एक ग्रुप को खड़ा करना आसान काम नही । लोगो को जोड़ना और बांधे रहना बड़ी बात । उनका कार्य सराहनीय। अब समय आ गया है लोगो को प्राइवेट जॉब को समझना होगा प्राइवेट जॉब को सिरियसलीय लेना होगा और प्राइवेट जॉब की ग्रोथ किस तरह होती है उसको भी समझना होगा , तभी समस्या का हल निकलेगा। आजकल कुछ मातापिता अपने बच्चो का विवाह इतना देर कर देते है की एक समय उनके हाथ से बेटी की उम्र ही निकल जाती है जिसके बाद वो इतने परेशान हो जाते है की रात को ग्यारह बारह बजे ग्रुप में बायोडाटा डालते है और कुछ तो सुबह सर्दियों में 4 बजे से ही डालना शुरू कर देते है सोचिए चिंता किस हद तक बढ़ जाती है । एक मातापिता के लिए चिंता की बात तो बनती  ही वो चाहे कोई भी हो इसलिए ऐसी नोबत ही नही आने दीजिए और समय से बच्चो के रिश्ते करे वो भी बिना बहुत ज्यादा चाह के।  धन्यवाद।



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