सप्ताह में कितने घंटे काम होना चाहिए समझे
प्राइवेट सेक्टर किसी सरकारी जॉब जैसा नही है और प्राइवेट जॉब की तुलना सरकारी जॉब से नही की जा सकती है। सरकारी जॉब में समय की पाबंदी तो होती है लेकिन उसकी सीमा निश्चित होती है लेकिन प्राइवेट जॉब में तो जितने घंटे भी काम करना होता है उसमे अपना पूरा 100प्रतिशत देना होता है। पहले प्राइवेट जॉब में फिजिकल वर्क ज्यादा होता था जिसमे वर्कर शारीरिक रूप से थक जाता था लेकिन आज का अधिकतर काम कंप्यूटर आधारित है जिसमे आखों पर जोर ज्यादा पड़ता है और दूसरा जिसमे ज्यादा घंटे अपनी जगह में बैठे ही कार्य करना होता है। देखने में सुनने में यह सुंदर कार्य लगता है लेकिन यह बैठे बैठे लंबे समय तक रोजाना कार्य करना किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है ऊपर से दिमाक अलग लगता है। प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करना एक अलग जिम्मेदारी होती है। इसे में यदि काम के घंटे यदि बढ़ते है तो यह एक एंप्लॉय के लिए ठीक नही होगा। जो एंप्लॉइज है उनके ऊपर भी अनेक जिम्मेदारियां है उनको बच्चें देखने है स्कूल के काम बच्चो के देखने होते है। घर के काम देखने होते है। पत्नी के साथ भी समय बिताना या बाहर घूमने जाना होता है। रिश्ते नाते निभाने होते है। इस हिसाब से देखा जाय तो एक एंप्लॉयज के लिए सप्ताह में 40 घंटे उचित ही है। आखिर एक एंप्लॉयज को अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना है जो तभी संभव है जब 40 घंटे से ज्यादा काम किसी भी कंपनी में नही हो।