मेहुवा मित्रता पूर्व सांसद के नाम पर विपक्ष एक क्यों समझे

मेहूवा मित्रता पूर्व सांसद के नाम पर विपक्ष एक क्यों समझे

भारत में इस समय नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है हाल ही में तीन प्रदेश के चुनावो जिसमे मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ के यह साबित भी कर दिया है की श्री नरेंद्र मोदी की लहर भारत में बरकरार है। चुनाव चाहे विधान सभा का ही या लोकसभा का कोई उनको हरा नही सकता है। यही सब देख विपक्षी पार्टियां हतप्रभ है और उन्होंने बेमेल गड़जोड में भी जान भूलने की कोशिश कर रहे है। मुख्य कोग्रेश पार्टी जिसको जनता पर पूरा भरोसा था की जनता उनका साथ चुनाव में देगी और मोदी प्रदेशों के चुनाव में हारेंगे। उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ। जिस वजह से काग्रेस और आम आदमी हो या जेडीयू या हो समाजवादी सबकी मजबूरी बन गई है की उनको भारतीय जनता पार्टी को हराना है। मेहुवा मित्रता का सासद से निस्काशन विपक्ष की एकता में जान फूकने के लिए काफी है। सारे विपक्षी उनको  सपोर्ट कर रहे है और  उनकी कही बाते को सही ठहरा रहे है। इस समय विपक्ष को सिर्फ मेहुवा मित्रता ही दिख रही है।






मेहुवा मित्रता  पूर्व ससद चर्चित क्यों 

मेहुवा मित्रता  का जो मामला चर्चा में आया वो हीराभाई नंदैनी का मामला है जिसमे बिजनेश मेन हिराभाई नंदनी एक केस में सरकारी गवाह बन गए जिसमे  उन्होंने कबूला की उन्होंने पूर्व सांसद को सांसद में सवाल पूछने के एवज में महंगे उपहार दिए थे।  तब इसको लेकर संसद में एक सांसद ने इसको लेकर सवाल खड़े किए और तब जाकर लोकसभा अध्यक्ष ने एथेंस कमिटी बनाई जिसमे पूर्व  सांसद सदस्य मेहुवा मित्रता अपना पक्ष सही से नही रख पाई । इस कमिटी की इंक्वारी के बाद इस केस को लोक सभा में लाया गया और इस पर चर्चा हुई । चर्चा के बाद इस पर वोटिंग हुई जिसमे  मेहुवा मित्रता को अपनी सांसदी खोनी पड़ी।






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