छोटी दीपावली ( Happy Dipawali 2021) / chhoti dipawali hindi

छोटी दीपावली / Chhoti Dipawali hindi

कार्तिक कृष्ण पक्ष की  चतुर्दर्शी को नरक चतुर्दर्शी कहते है। रूप चतुदर्शी / छोटी दीपावली बग्वाल आदि अनेक नामो से जाना जाता है। 
जीवन मे हुये पाप- ताप संताप को को कम करने के लिये उससे छुटकारा पाने के लिये नरक से बचने के लिये  प्रातः उठकर अपामार्ग / चिड़चिड़ा / पुठकंडा  पोथे के साथ स्नान करना चाहिये ओर सायंकाल यमराज के लिये दीपदान करना चाहिये।

आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का बध किया था ओर अधर्म पर धर्म की पताका फहराई थी। इसलिये नीचे दिए मंत्र के द्वारा श्री कृष्ण को फूलमालाओं से सम्मान करना चाहिये। फूल माला उनको अर्पित करने के बाद यह मंत्र पढ़े ओर संकल्प ले कि अधर्म को हराना है तो सत्य के रास्ते चलना है।

मंत्र वासुदेव सुंत देंव नरकासुर मर्दनम।
देवकी परमानंद कृष्ण वंदे जगतगुरूम।।

कथा हजारों वर्ष पहले रन्तिदेव नामक एक बड़ा ही धर्मात्मा कर्तब्य परायण, दानी राजा था। जब उसका अंत समय आया तो यमराज के दूत उसको लेने आये ओर बोले कि नरक चलो।नरक की बात सुन्नकर राजा घबराया ओर बोला कि नरक जाने का कारण क्या है। 

यमदूत बोले :- राजन आपने जो कुछ दान पुण्य किया है उसे पूरा विश्व जनता है। किन्तु पाप पुण्य को भगवान ओर धर्मराज ही जानते है। राजा बोले कृपा कर उस पाप को मुझको बताओ जिससे कि मैं उसका  निवारण कर सकू। दूत बोले एक बार एक ब्राह्मण तुम्हारे द्वार से भूखा प्यासा ब्याकुल गया था। इसलिये तुमने नरक जाने का पाप किया है। तब राजा ने दूतों से एक साल का समय  मांगा जिससे कि वो अपने पापो का निवारण कर सके।

तब राजा ऋषियों के पास गया ओर उनसे पूरा वृतांत बताया ओर उसके निवारण के उपाय पूछा। तब ऋषियों ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को प्रातः उठकर अपामार्ग/ चिड़चिड़ा/पुठकड के पौधे से  स्नान करके कृष्ण भगवान का धूप दीप फूल मालाओं से पूजन करना चाहिये। उसके बाद सायंकाल को यमराज के लिये दीपदान करना चाहिये। इस तरह से राजा ने ऋषियों की बतलाए मार्ग पर चले ।स्नान पूजन किया सायंकाल को दीपदान किया और इस तरह वे उन्हें पाप से मुक्ति मिली ओर वे स्वर्ग को गये। तभी से यह प्रथा चली है। 



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