हनुमान जी के जन्म की कथा ( Birth story of Hanuman ji) हर हिन्दू के लिये आवश्यक /.Hanuman ji ke jnm ki katha har hindu ke liye aawashyak hindi

हनुमान जी के जन्म की कथा (Birth story of Hanuman ji ) हर हिन्दू के लिये आवश्यक / Hanuman ji ki janm ki katha har Hindu ke liye saadhak hindi
हिन्दू धर्म मे अनेकों देवी देवताओं को पूजा जाता है।शास्त्रों में लिखा है 33 कोटि के देवी देवता है। हिन्दू लोग सभी को पूजते है। हिन्दू धर्म जो आदिकाल से चला आ रहा है। जिसे सनातन धर्म वैदिक धर्म कहते है।  सृष्टि बनने से लेकर आजतक यह वैदिक धर्म आज भी चला आ  रहा है।  हिन्दू धर्म मे जिन देवताओं को ज्यादा या मुख्य रूप से पूजा जाता है उनमें ब्रह्मा विष्णु महेश को पूजा जाता है। मंत्रों में ब्रह्मा जी का नाम तो आता है लेकिम उनके मंदिर दुनिया मे कम ही पाये जाते है। भारत मे उनका मन्दिर सिर्फ पुष्कर में है। वैदिक धर्म ,सनातन धर्म, हिन्दू धर्म, मे विष्णु भगवान ओर शिवजी को मुख्य रूप से पूजा जाता है। वाकि उनके अवतारों की पूजा की जाती है। देवियों में शिव जी की पत्नी माता पार्वती के  9 रूपो की पूजा की जाती है। जिन्हें नवदुर्गाः कहते है। विष्णु भगवान की पत्नी  माता लक्ष्मी की पूजा धन के लिये ओर सरस्वती देवी जी की पूजा बुद्धि के लिये की जाती है।

हनुमान जी की जन्म की कथा  /  Hanuman ji ki janm ki katha hindi
हनुमान जी को शास्त्रों में रुद्रावतार कहा जाता है । वह भगवान शिव के ग्यारवें अवतार है। हनुमान जी की जन्म की कहानी इस प्रकार है। सुमेरु में केसरी का राज्य था। वानरराज केसरी एक बार प्रभास तीर्थ गये थे। वहां वह देखते है कि नदी किनारे ऋषि मुनि लोग तपस्या कर रहे है। अचानक वहां एक हाथी आ जाता है। वह बलवान हाथी उत्पाद मचाना शुरू कर देता है । केसरी यह सब पहाड़ की चोटी से देख रहे थे। उन्होनें हाथी के दांत तोड़ दिये। कहते है कि हाथी जो था वो मर गया। जिससे भगवान केसरी को दुखः हुआ। उनको दुःख को देखकर ऋषियों ने उनको वरदान दिया कि उनको बलवान पुत्र प्राप्त होगा जो भगवान रुद्र का अंश होगा । क्योकि केसरी को ऋषियों से रुद्र अवतार का वरदान प्राप्त था।  केसरी की अति सुंदरी अंजना नामक स्त्री थी। एक बार अंजना वस्त्राभूषण पहन कर  स्नान  करने गयी । उस समय पवनदेव ने उसके कान में प्रवेश करने की सोची तो अंजना घबरा गयी। उसने सोचा कि शायद  राच्छक शायद यह कर रहे है लेकिन उसी समय पवन देव ने कहा कि में रूद्र के अवतार को कान के द्वारा प्रवेश करा रहा हु ।  यह महाराज केसरी को ऋषियों द्वारा दिया वरदान का पालन कर रहा हु। अंदर प्रवेश के बाद बाहर आते समय उसको आश्वाशन की तेरे यहां सूर्य, अग्नि एवम सुवर्ण समान तेजस्वी ,वेदवेदांतो का जानकार महाबली  पुत्र उत्पन्न होगा ओर ऐसा हुआ भी।


वेदों पुराणों के अनुसार पवनपुत्र हनुमान जी का जन्म  चेत  शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मंगलवॉर के दिन मेष लग्न के योग में माता अंजना के उदर से हनुमान जी उत्पन्न हुए। हनुमान जी के उत्पन्न होने के दो प्रहर बाद ही जब सूर्योदय होने लगा तब उन्हें भूख लगने लगी तब उनकी माता अंजनी उनके लिये फल लेने गयी। उस समय सूर्य को लाल फल समझ कर हनुमान जी निकलने को तैयार हुये। उस समय अमावस्या होने से राहु भी उनको ग्रास बनाने गया था लेकिन वहां हनुमान जी को देखकर वह भाग गया वह हनुमान जी को दूसरा राहु समझ बैठा। यह बात उन्होंने इंद्र को बताई तब इंद्र ने वज्र का  प्रहार  हनुमान जी के मुँह पर किया। जिससे वे जमीन पर गिर गए। जिससे उनकी ठोडी टेडी हो गयी। इसी से एक नाम हनुमान कहलाया।

इंद्र की इस दुष्टता का दंड देने के लिये पवन देव ने वायु का संचार रोक दिया । जिससे पृथवी पर हाहाकार मच गया। मनुष्य, पक्षी ,जानवर सब तड़पने लगे। तब सब इंद्र सहित सब  देवता ब्रह्मा जी के पास गये ओर उनसे पृथ्वी पर रहने वाले जीवों को बचाने की प्राथना करने लगे। तब जाकर ब्रह्माजी ने अमितवायु का इंद्र ने वज्र से हताहत न होने का, सूर्य ने शतांश तेज से युक्त ओर सम्पूर्ण शास्त्रों के विशेषज्ञ होने का  वरुण ने पाश ओर जल से अभय रहने का यम ने यमदंड से अवध्य रहने का ओर पाश से नाश न होने का कुवेर ने शत्रु मर्दिनी गदा से निःशंख रहने का भगवान शंकर ने प्रमन्त  ओर अजेय  योद्धाओं से रहने का , जय प्राप्त करने का ओर विश्वकर्मा ने मायाजाल के बनाये सभी अस्त्र शस्त्र तथा  यंत्रादि से कुछ भी क्षति नही होने का वरदान दिया।

इस प्रकार के वरो के प्रभाव से  हनुमान जी शक्तिशाली हुए। उनका पराक्रम बड़ा ही अमिट था। यह सब हनुमान भक्तों में  प्रसिद्ध है। हनुमान जी जो भगवान राम के अनन्य भक्त थे । इसलिये वे अनेक रामायण में उनका उल्लेख है। पद्य,स्कंद ओर वायु पुराणों में  उपासना के विषय मे अगणित गंथो में उनकी जन्म की कहानी से लेकर अनेक वृतांत वणित है।

बजरंगबली के जन्म से जुड़ी अद्वत कथा
मान्यताओं ओर प्रचलित कथाओं के अनुसार प्राचीन काल मे समुद्रमंथन के उपरांत भगवान शिव के निवेदन पर अमृत की रक्षा के लिये भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया जिसका मकसद देवताओं को अमृतपान कराना था। जब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत का पान देवताओं को कराया था। भगवान शिव  भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखकर  कामातुर हो गये । जिससे उनका वीर्यपात हो गया। भगवान शिव ने पवनदेव को यह वीर्य अंजनी के गर्भ में हवा द्वारा पहुँचाया । जिससे अंजनी गर्भवती हो गयी। अंजनी ओर वानरराज केसरी भगवान शिव की तपस्या पुत्र पाने के लिये कर रहे थे। भगवान शिव ने उनकी प्राथना सुन ली । जिससे अंजनी के गर्भ से ग्यारवे रुद्र के अवतार हनुमान जी का जन्म हुआ। हनुमान जी ने  भगवान विष्णु के अवतार श्री राम की सेवा जीवनपर्यंत की। जब तक पृथवी में राम मनुष्य योनि में थे तब तक उन्होंने उनकी भरपूर सेवा की।

हनुमान जी के बारह नाम
1 हनुमान 
2 अंजनीपुत्र
3 वायुपुत्र
4 महाबल
5 रामेस्ट ( राम जी के प्रिय)
6 फाल्गुनसख ( अर्जुन के मित्र)
7 पिंगाक्ष  ( भूरे नेत्र वाले)
8 अमिट्विक्रम
9  उदधिक्रमण
10 सितशोक विनाशन ( सीता जी के शोक को विनाश              करने वाले)
11 लक्ष्मणप्राणदाता  ( लक्ष्मण जी को संजीवी ब्यूटी द्वारा जीवितकरने वाले)
12  दशग्रीवदर्पहा ( रावण के घमंड को चूर करने वाला)

हनुमान जी के जन्म के बारे में अधिक जाने
पौराणिक कथा कहानियों के मुताबिक हनुमान जी का जन्म एक वानर के रूप में हुआ था। इनकी मां अंजनी एक अप्सरा थी। अपने श्राप के कारण उन्होंने पृथवी पर जन्म लिया था। जिस श्राप में उनको एक बलवान बिद्वान पुत्र को जन्म देना था। उसके बाद वह श्राप से मुक्त हो जाएगी।
वाल्मीकि जी की रामायण के मुताबिक हनुमान जी के पिता केसरी वृहस्पति के पुत्र थे।  जिन्होंने राम की सेना में शामिल होकर रावण के खिलाफ युद्ध लड़ा था। पीछे हम बता चुके है कि अंजिनी ओर केसरी ने भगवान शिव से पुत्र कामना के लिये तपस्या भी की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको वरदान दिया था। जिसके फलस्वरूप उनको पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। 

एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार मारुति एक बार वन में भृमण कर रहे थे। अंजिनी को देखकर वे मोहित हो गये ओर पवन वेग से अंजनी के कान मार्ग से उनके अंदर प्रवेश हुए ओर अंजिनी गर्भविती हो गयी। इस तरह हनुमान जी का जन्म हुआ।

हनुमान जी की कथा पढ़ने सुनने से लाभ
हनुमान जी चिरंजीवी है। वह अजर अमर है। उनका नाम मात्र लेने से शरीर मे सकरात्मक  ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग हनुमान जी की कथा को हर रोज पढ़ते है सुनते ही उनके अंदर नकारात्मक विचार नही आते है। वह  हत्या जैसे कुचारो से बचते है। उनके अंदर का डर दृर होता है। जो लोग हनुमान जी की कथा कहानी को सुनते है उनका भय दूर होता है। गलत हवा जैसे बुरी आत्मा उनके अंदर प्रवेश नही करती है। जो लोग रोजाना हनुमान जी की कथा कहानी नही पढ़ पाते है उनके सप्ताह में दो बार मंगलवार शनिवार को उनकी कथा कहानी जरूर पढ़नी चाहिये। इससे दुःख दूर होते है घर मे प्रसन्नता का माहौल बना रहता है। जो लोग हनुमान चालीसा का हर मंगलवार पाठ करते है हनुमान जी उनकी विपदा को हर लेते है।  







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