क्या आर्युवेद में किडनी रोग का इलाज है ? / Is Kidney Treatment available in Ayurved hindi
आजकल खराब खानपान रहनसहन खराब जीवन शैली की वजह से किडनी रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। किडनी रोग मत्तलब क्रोनिक किडनी डिजीज ( CKD) यह नाम किडनी फ़ैलर होने का मेडिकल नाम है। मानव शरीर जैसे कि एक मशीन की तरह काम करता है उसमे हर अंग का एक दूसरे से तालमेल बिठाकर काम करते है ओर यदि कोई एक अंग किसी तरह की लापरवाही करता है तो वह अंग सिस्टम से बाहर हो जाता है जिसका परिणाम मनुष्य को यह भुगतना पड़ता है कि वह बीमार हो जाता है। हाल ही कि एक स्टडी के मुताबिक महिलाये इस रोग से ज्यादा पीड़ित बतलाई गयी है उनकी संख्या 14 प्रतिशत है ओर पुरुषो की उनसे 2 प्रतिशत कम बतलाई गयी है मत्तलब पुरुष 12 प्रतिशत इस रोग से पीड़ित बतलाए गये है। भारत मे ( CKD) से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां हर साल 2 लाख लोग इस रोग से पीड़ित हो रहे है।
आर्युवेद में किडनी रोग का इलाज कितना सफल
आर्युवेद में किडनी रोग का इलाज हमारे पूर्वजों ने ही खोज निकाला था। भारतीय आर्युवेद ग्रंथो में पुनर्नवा पौधे का जिक्र है जिसके गुणों का काफी बखान किया गया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने इस पर अध्ययन ओर शोध किये ओर इससे किडनी की दवा बनाई जो किडनी रोगियों के लिये काफी सफल है।इस दवा का नाम नीरी KFT के एफ टी है। जिसको किडनी की बीमारी की शुरुवात में पकड़ आने पर सफल इलाज के तौर पर देखा जा रहा है ओर जिन मरीजो का समय पर पता चलता है वे मरीज ठीक हो रहे है। यह आर्युवेद के लिये गर्व की बात है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पुनर्नवा में गोखरू, वरुण, पथरपुरा पाषाणभेद, कमल ककड़ी जैसी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया गया है। आर्युवेद की यह सब जड़ी बूटी मिला कर ही नीरी केएफटी किडनी के लिये दवा बनाई गई है। यह दवा गुर्दे में क्रिएटिनिन, यूरिया, व प्रोटीन को नियंत्रित करती है ओर क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को स्वास्थ्य करती है। इसके अलावा यह शरीर मे हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ाती है।
किडनी में इन्फेक्शन के संकेत
किसी भी बीमारी के संकेत शुरुवात में मिल जाते है लेकिन किडनी रोगियों के बारे में यह पूरी तरह से नही कहा जा सकता है। बहुत बार किडनी रोग का पता तब चलता है जब किडनी फ़ैलेर हो चुकी होती है । किडनी फ़ैलेर के अनेक कारण होते है जिसमे एक कारण किडनी स्टोन भी होता है। जिसमे एक साइलेंट स्टोन होता है जो किडनी को डैमेज करता है ओर जब तक ब्यक्ति को पता चलता है उसकी किडनी डेमेज हो चुकी होती है । बहुत बार तो यह ब्लड रिपोर्ट तक मे पता नही चलता है। लेकिन कुछ संकेतो से किडनी रोग का पता चलता है जैसे पिसाब कम आना, पिसाब ज्यादा आना, पिसाब के रास्ते खून आना, तेलीय पिसाब आना, पिसाब में बदबू आना, लेकिन यह संकेत बहुत बार मामूली खानपान की गड़बड़ी से भी हो जाते है जैसे कि गर्मियों में पानी कम पीने से पिसाब का पीला होना, तेल सी पिसाब होना, या पिसाब कम होना, इसलिये किडनी को सुरक्षित रखने के लिये गर्मियों में पानी खूब पीना चाहिये। जब भी गर्मियों में धूप में निकले अपने लिये पानी की ब्यवस्था करके ही निकले। ।।