गोवर्धन पूजा अन्न कूट / Govardhan puja ann kut hindi

गोवर्धन पूजा अन्न कूट  ( नई पीढ़ी समझे मकसद) / Govardhan puja ann kut hindi
गोवर्धन पूजा अन्न कूट हम मनाते जरूर है लेकिन हमारी नई पीढ़ी को उसको मनाने के पीछे की कहानी ओर उद्देश्य अवस्य जानना चाहिये।  एक समय भगवान कृष्ण ने देखा कि ब्रज में लोग अपने घरों में पकवान ओर विभिन्न प्रकार की चीजें  बना रहे है  । पूजा की तैयारियां जोरों पर थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने पूछा कि ये सब किसके लिये। तब नंद बाबा बोले कि यह सब इंद्र देवता को खुश करने के लिये किया जा रहा है। 

भगवान श्री कृष्णा का यह समय बाल्यकाल का जरूर था लेकिन लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे और उसको मानते भी थे। भगवान श्री कृष्ण ने लोगो से कहा कि आप लोग इंद्र की पूजा क्यो करते हो अगर पूजा ही करनी है तो गोवर्धन पहाड़ की पूजा करो। क्योकि इस पहाड़ पर सब देवताओं का वाश है श्री कृष्ण आगे बोले कि यदि पहाड़ नाराज हो जाते है तो लोगो को अनेक कष्ट मिलते है। इसलिये यदि हमें कष्ट ओर भविष्य के दुःखों से बचना है तो गोवर्धन की पूजा करनी चाहिये। 
लोगो ने उनकी बातें मानी ओर गोवर्धन पहाड़ की पूजा करने लगे।  जो हजारों साल से चली आ रही प्रथा है  ओर ये प्रथा आज भी चल रही है आज भी लोग अपने घरों में गोवर्धन पहाड़ की पूजा पकवानों मिष्ठानो के साथ करते है लेकिन इसके पीछे एक बहुत बड़ा उद्देश्य छिपा हुआ है वह उद्देश्य यह है कि हमे यदि अपने पर्यावरण को बचाना है तो पहाड़ों को बचाना होगा। पहाड़ों को बचाने के लिये उनका कटान को रोकना होगा। पहाड़ों पर विकाश एक सीमित सीमा तक ही करना चाहिये। 
पहाड़ों को काटकर उनकी शोभा को खत्म करने का मत्तलब यह है कि हम प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे है जिसको हमको रोकना होगा। पहाड़ों के ऊपर जो बर्फ की चादर हम देखते है वह हमको हर तरीके से सकूँन ओर खुशी देती है जब यह  पिघल कर मैदानों में पानी के रूप में आती है तब यह हमारे खेतो को हरियाली के साथ अन्न उत्पादन करती है। हमारी खेती बढ़या होती है। मैदानों में पीने के पानी की कमी नही होती है। पहाड़ों के दम पर हम मैदानों में खेती करते है। हमे पहाड़ों पर मौज मस्ती के लिये नही बल्कि उनके अहसानो के लिये उनको प्रणाम करने के लिये जाना चाहिये। 
आजकल का युवा पहाड़ों पर सेर सपाटे को मौज मस्ती समझता है ओर पहाड़ों पर दारू पीकर ,कोल्ड ड्रिंक पीकर गंदगी करके आते है। यह ठीक नही है यह पर्यावरण के लिये नुकसानदायक है। जब भी अगली बार पहाड़ों पर जाओ उनको अपनी आखो से प्यार से  निहारो  ओर एक बार प्रणाम अवस्य करो।
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