पति पत्नी की दिल को छूने वाली कहानी / pati patni ki dil ko chhune wali kahani hindi

पति पत्नी की दिल को छूने वाली कहानी  / ,pati patni ki dil ko chhune wali kahani hindi

मानवजीत  एक व्यापारी है उसके पिता का खानदानी बिजनेश एक तेल पेलने की मशीन है। मानवजीत जब बड़ा हुआ तो वह अपने पिता के बिजनेश मॉडल को पूरी तरह समझ चुका था। अमरजीत ने उस बिजनेश को बड़ा करने की सोची और एक दिन वह सफल व्यापारी बन गया। अमरजीत के पिता चाहते थे की अमरजीत अपने समाज की किसी लडकी से शादी करे लेकिन अमरजीत की आंखे तो कॉलेज के दिनों में ही दो से चार लवली से हो चुकी थी। अमरजीत एक दिल का सच्चा इंसान था वो लवली को किसी धोखे में नही रखना चाहता था सो एक दिन अमरजीत ने अपने दिल की बात लवली को बता दी की वो उसको चाहता है अमरजीत की यह बात सुन कर लवली को एक झटका लगा। उसका कारण यह था की लवली कानपुर की थी और अमरजीत हिमाचल का पहाड़ी बंदा था। लवली अमरजीत को अच्छा तो पाती थी लेकिन हिमाचली होने की वजह से वह कुछ समझ नही पा रही थी। इसलिए जब बात आगे बढ़ी उसे अमरजीत से प्यार हो गया या यह कह सकते है की वो एक दूसरे को दिल से चाहने लगे। लवली एक खुद्दार हिंदू लड़की थी। अमरजीत भी हिंदू परिवार से ही था  बस समस्या आ जो रही थी वो थी रीति रिवाजों की  भाषा की लेकिन लवली और अमरजीत होशियार  थे सो उन्होंने इस बात का हल निकाल लिया की हम दोनो अपने घरों में हिंदी बोलकर काम चलाएंगे। क्योंकि अमरजीत डोगरी था उसका घर गांव में था तो वहा डोगरी ही चलती थी हिंदी तो लोग खूब बोलते थे लेकिन घर में अपनी भाषा ही चलती थी। अमरजीत को लवली से कोई परेशानी नही थी। एक दिन अमरजीत ने अपनी मम्मी को अपने प्यार की कहानी बतलाई तो पहले तो वह नाराज हुई लेकिन जब बेटे ने मां को अपने प्यार की बात बतलाई और पूरी जिंदगी उसी के साथ बिताने के सपने को हकीकत में बदलने की बात को दो से तीन बार दोहराया तो एक मां का दिल पिघल गया ।  मां ने पापा को पटाया तब कही जाकर बात बनी । यही सब लवली भी अपने घर कर रही थी । उसके मातापिता भी विवाह के लिए मान गए थे। आखिर 10 मई को दोनो का विवाह हो गया। कानपुर की लाडली अब हिमाचल की हो चुकी थी। लवली होशियार थी उसने एक साल में ही हिमाचल के सारे रितिरिवाज सीख लिए अब वो पक्की डोगरी हो चुकी थी। दोनो ने अपने धर्म में शादी की इस वजह से कोई बखेड़ा भी खड़ा नही हुआ।  बस इतना अंतर दोनो में था की एक ओबीसी समाज की बेटी थी तो लडका राजपूत समाज से था। आखिर प्यार में इतना तो चलाना ही पड़ता है। आज दोनो खुशी ने अपने खानदानी व्यापार को आगे बढ़ा रहे है। अब दोनो के बच्चे  किरण, सालू उन्हे खूब प्यार करते है। लवली कानपुर साल में दो बार पहले जाति थी लेकिन अब तो दो साल में एक बार ही कानपुर जाति है। लवली के माता पिता भाई लोग उससे समय समय पर मिलने हिमाचल आते रहते है।
































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