रिश्ते तलाश करते समय कब अपने को हंसी का पात्र नही बनाए समझे

रिश्ते तलाश करते समय कब अपने को हंसी का पात्र नही बनाए समझे

शादी विवाह की बात जब भी चलती है तब जाति गोत्र को अक्सर देखा जाता है इन चीजों को देखना गलत भी नहीं। इसलिए तो एडमिन जी ने सिर्फ ब्राह्मण लोगो की सुविधा के लिए ग्रुप बनाया। वे यदि चाहते तो मिक्स ग्रुप भी बना सकते थे लेकिन उन्होंने सेपर्टे ग्रुप बनाया । यह ग्रुप अनेक ब्रह्मण लोगो को एकत्र तो कर रहा है लेकिन जितनी जल्दी सफलता मिलना चाहिए वो शायद नही मिल पा रहा है। इसके अनेक कारण हो सकते है लेकिन आज हम जिस चीज की बात करेगे वो है जाति को लेकर। सबसे  पहले तो ब्राह्मण की एक ही जाति है लेकिन फिर भी यदि कोई पूछना ही चाहता है तो इसकी भी एक सीमा ही होनी  चाहिए। जब बालक बालिका की उम्र तीस साल पार कर जाती है तब उन हालात में जाति के बारे में ज्यादा सवाल नहीं करने चाहिए। दूसरी चीज ,,35साल बाद पैकेज भी नही पूछना चाहिए। I यदि कोई पूछता है तब वह हंसी का पात्र बनता है।  उम्र 35 जो  भरपूर जवानी है उसके बाद की सीढ़िया   45  के बाद तो लोग आधे से ज्यादा उम्र ढल जाती है और ये वक्त बुढ़ापे की और जाने की पहली सीढ़ी भी है फिर धन में उन्नति हो सकती है लेकिन उम्र में अवनति होती है। आज कितने ही लोग ऐसे होगे की जिनकी खुद की उम्र  45  होगी और बालक या बालिका की उम्र 23,साल होगी । दूसरी तरफ कुछ लोग ३५ और ४० साल में रिश्ता तलाश रहे है मानते है की कुछ की मजबूरी रही होगी लेकिन सब के साथ तो यह नही हो सकता है अब खुद उनको  महसूस होता होगा अपनी उम्र का सोचिए। इसलिए कम उम्र के विवाह में सब कुछ ठीक रहता है। दूसरे लोगो को देख कर उनका अनुसरण नही करे। अपना सम्मान अपने लिए होता है दूसरे के लिए नही।













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