what Benefits quick marriage of a girl have blow star these house know hindi here / कन्या की कुंडली में तीसरा चंद्रमा और आठवां गुरु में जल्दी विवाह के फायदे जाने

What Benefits quick marriage of a girl have blow star these house  know hindi here /  कन्या की कुंडली में तीसरा चंद्रमा और आठवां गुरु में जल्दी विवाह के फायदे जाने 

हर कोई कुंडली विज्ञान के बारे में जानना चाहता है और जब बेटी की अच्छी जॉब नही लग रही हो या विवाह नही हो रहा है तो माता पिता का चिंतित होना लाजिमी है। तब सब भाग्य के भरोसे बैठ जाते है कुछ लोग तो कुछ करते ही नही सोचते है जो किस्मत में लिखा है वही होगा। अरे भाई किस्मत भी साथ तब देगी जब आप अपने कर्म उचित तरीके से करोगे। जब बात कुंडली की आती है तो लोग पंडित जी के पास पहुंच जाते है अच्छा विद्वान पंडित मिल जाए तो  ठीक नही तो अधिकतर अपनी झोली भरने के चक्कर में रहते है अनेकों पूजा करवा लेते है लेकिन होता कुछ नही। 

आज हम कुंडली में जिन कन्याओं के तीसरे भाव में चंद्रमा शुभ है उनके बारे में बतला रहे है जिन कन्याओं की कुंडली में चन्द्रमा अच्छी अवस्था में तीसरे भाव में पाप ग्रहों से रहित बैठा है उनका भाग्य शादी के बाद ही खुलता है शादी के बाद ही उनकी सुख समृद्धि आयेगी नोकरी में उन्नति होगी तब तक बहुत अच्छे शुभ फल उनको नही मिलते है शादी के बाद ही इनका भाग्योदय  वैदिक ज्योतिष में माना गया है यह बालको पर भी लागू है लेकिन कन्याओं पर ज्यादा असर माना जाता है इसलिए ऐसे लोगो को समय पर अपने बच्चो का विवाह करना चाहिए। जिनके चंद्रमा के साथ राहु केतु बैठे हो उनको शुभ फलों में कमी रहती है 

वैदिक ज्योतिष के मुताबिक जिन लोगो की कुंडली में  आठवां गुरु है आठवां गुरु अशुभ  भाव में बैठा है लेकिन शुभ भाव में बैठे  गुरु के शुभ फल कम  ही मिलते है। जिन कन्याओं की कुंडली में आठवां गुरु है उनका विवाह के बाद ही भाग्योदय होता है विवाह के बाद ही इनको सुख समृद्धि मिलती है  इन्हे विराशत में ससुराल से भी कुछ न कुछ तो जरूर मिलता है जो की जायजाद हो सकती धन हो सकता है । ऐसी कन्याएं पति और बच्चों का खूब ध्यान रखती है । इन्हे पति बच्चो की चिंताएं रहती है। 

जिन कन्याओं की कुंडली में केंद्र में शुक्र होता है उनको फैसन फिल्म इंडस्ट्री का काम अच्छा लगता है इस क्षेत्र में वे आगे बढ़ सकती है यदि गुरु चौथे भाव में हो तो उनके पास धन की कमी नही रहती है बड़ी गाड़ी और एक बड़ी अच्छी दौलत उनके पास हो सकती है। जिनकी कुंडली में राहु छटे भाव में हो वह अपने जीवन में धन के मामले में तंग नही रहती है रुपया पैसा उनको कही न कही से आते रहता है।
जिनकी कुंडली में शनि की आठवें भाव में हो उनकी उम्र लंबी होती है। जिनकी कुंडली में शुक्र बुध एक साथ युक्ति हो उनको लक्ष्मी नारायण योग बनता है जो की धन का योग है एक शुभ योग है जिनकी कुंडली में गुरु चांदमा की युक्ति हो उन्हें इसका पूरा फल अपने जीवन में मिलता दिखता नही लेकिन वे अपने जीवन में सुखी रहते है।

जन्म कुंडली में शनि की दृष्टि यदि मंगल पर हो तो कार्यो में संघर्ष और धन में कभी बहुत अच्छा कभी हल्का रहता है कहने का मतलब अनिस्चयता का वातावरण रहता है लेकिन यदि बुध दूसरे भाव में और गुरु ग्यारहवें भाव में शुभ होता है गुरु की कृपा से धन उपार्जन होता है बस शुक्र चौथे में शुभ और उच्च का होना चाहिए।  सूर्य ग्यारहवें भाव या सूर्य बुध ग्यारहवें भाव में हो शुक्र चौथे स्थान में हो शुक्र बुध को गुरु देख रहा हो बहुत शुभ योग धन दायक योग बनता है। शुक्र राहु  हो या शुक्र मंगल साथ हो या दृष्टि  हो व्यक्ति में काम भावना जरूरत के समय प्रबल रहती है  परंतु नियंत्रण भी रहता है जिनके सूर्य  शुक्र  कुंडली में साथ हो उनको काम भावना में कमी रहती है  शादी के लिए कभी हार या कभी ना देखा जाता है। 


सूर्य गर्म है शुक्र रज है जो सूर्य की गर्मी से जल जाता है। सूर्य को शुक्र के साथ अच्छा नहीं माना जाता है ऐसे  लोग पति पत्नी में बहुत बार निर्सत्ता  रहती है जो खुशी दोनो के रिश्ते में होनी चाहिए जिसको रिश्ता में गर्माहट जो बातचीत में भी देखने मिलनी  चाहिए उसमे वह कमी रहेगी । रिश्ते वही सफल होते है जिनमे  मंगल शुक्र की अच्छी स्थिति अच्छे भाव  में  अलग अलग हो। रिश्ते जिनकी कुंडली में शुक्र प्रबल हो वो उनको समाज में सम्मान मिलता है साथ ही ऐसे लोगो का विवाह उनसे करना चाहिए जिनका शुक्र उच्च का हो यदि गलती से नीच शुक्र में विवाह होने पर शादी टूटने का डर रहता है या तालमेल में कमी रहती है दोनो एक दूसरे से विवाह तो हो सकता है परन्तु उनका जीवन नीरस रहता है । बस शुक्र उच्च का और केंद्र में होना चाहिए। तब ही उनका जीवन सुखी रहता है और यदि उनका पहला विवाह सफल नहीं हो तो दूसरा विवाह में जबरजस्त सफलता मिलती है लेकिन यदि दो उच्च लड़का  और लड़की का विवाह जिनका दोनो का शुक्र कुंडली में उच्च हो उनके विवाह को सफल माना जाता है। एक सफल विवाह जीवन में उन्नति देता है जिनका चौथा शुक्र कुंडली में हो जो की बहुत अच्छा माना जाता है लेकिन विवाह के समय ऐसे लोगो को उच्च शुक्र वाली कन्या से ही विवाह करना चाहिए। 


जिनकी कुंडली में दसवां शनि है वह पिता के लिए खराब होता है लेकिन बहुत बार यह  विवाह के बाद ससुर के लिए खराब भी हो सकता है विवाह के बाद ग्रह में परिवर्तन हो जाता है इसलिए अच्छे ज्योतिष से जानकारी से भी अच्छा अपने दिल को मजबूत करे की जो भी होगा अच्छा ही होगा। जिनकी कुंडली में दशवे स्थान पर शुक्र होता है उनको पिता से या पति से बड़े उपहार मिलते है जिनमे बड़ी संपत्ति भी हो सकती है जिनकी कुंडली में शुक्र अच्छा नही हो उनको जिंदगीभर  आर्थिक तंग रहना पड़ता है। सूर्य चंद्रमा की कुंडली में अच्छी स्थिति भी सुखी जीवन की गारंटी होती है। इतना समझ लीजिए कि यदि कुंडली में दो से तीन ग्रह अच्छी पोजीशन में हो तो सारी कुंडली ठीक रहती है। 

जिनकी कुंडली में सूर्य मंगल की युक्ति हो ऐसे लोग घर के या बाहर के छोटे काम करना पसंद नहीं करते है  किचन के काम में तो हाथ बटाना बहुत कम होता है। यदि कुंडली में सूर्य मंगल अच्छी पोजीशन में है तो यह जीवन में आगे बढ़ते है सूर्य राजा है तो मंगल को सेनापति का स्थान प्राप्त है घूमने का शौक ज्यादा होता है साथ ही ये साहसी।भी होते है क्रोध भी कभी कभी आ सकता है खासकर तब जब कुछ गलत हो रहा हो इनके साथ ।  बाहर का खाना ज्यादा पसंद होता है। कुंडली में जिनकी शुभ ग्रह केंद्र में हो उन्हें जीवन में अपार सफलता मिलती है कुंडली के केंद्र में किसी शुभ ग्रह की युक्ति कुंडली को बलवान बनाती है यदि साथ में पाप ग्रह हो तो शुभ फल कम मिलते है छोटी जॉब मिलती है। कुंडली के केंद्र में कोई ग्रह नही होना अच्छा नही माना जाता है ऐसी कुंडली वालो को जीवन में तकलीपे ज्यादा उठानी पड़ती है धन की कमी रहती है यह दूसरे के धन पर निर्भर रहते है अपना जो कमाते है उससे इनका कभी पूरा नहीं होता है आर्थिक हालात नाजुक रहते है यदि दूसरे ग्रह शुभ भी हो तब भी परेशानी बनी रहती है।

मंगल शुक्र युक्ति या दृष्टि को समझे 
मंगल शुक्र की युक्ति हो या दृष्टि लगभग एक जैसा ही इनका प्रभाव रहता है कामुक माना गया है चाहे वो किसी भी भाव में हो  लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है की यदि स्त्री की कुंडली में यह भाव है तो पति उसको बहुत प्यार करता है और यदि पुरुष की कुंडली में यह भाव है तो पत्नी उसे बहुत प्यार करती है लेकिन यदि मंगल कमजोर है और शुक्र मजबूत कुंडली में है तो यह पति पत्नी दोनो के सुखी विवाहित जीवन के लिए  और भी अच्छा रहता है सोने पर सुहागा होता है किसी शुभ ग्रह की युक्ति इनके साथ या शुभ ग्रह की दृष्टि शुक्र मंगल पर हो तो बहुत शुभ रहता है । मंगल और शुक्र की एक कहानी है इसलिए शास्त्रों  में इसका उल्लेख है लेकिन देखा गया है की  यदि पुरुष की कुंडली में यह भाव होता है तो उसकी महिला मित्र ज्यादा  होती है और यदि महिला की कुंडली में है तो उसके पुरुष मित्र अधिक होंगे। मित्र का मतलब गलत नही है असल में उनकी उनसे ही अधिक बनेगी अधिक तालमेल से काम  कर सकती है जिन लड़कियों की कुंडली में यह योग होता है उनको अपने को नियंत्रण में रखना होता है और इसका प्रभाव साल में एकात बार ही होता है जो की ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है लेकिन इनका अपने में पूर्ण नियंत्रण भी होता है लेकिन ऐसी भाव वाली लड़किया अपने काम को महत्व देती है  वे बहुत अपने जीवन में आगे बढ़ने की अपने दम पर सोचती है ऐसी स्त्रियां पुरुषो से डरती नही है वे घर बाहर सब जगह all rounder होती है  और हर कार्य को दिल लगा कर काम करती है  इसलिए इनके पति इनसे खुश रहते है अपने पति के प्रति पूरा संपर्ण रखती है जिस वजह से पति इनसे खुश रहता है । पूजा पाठ में इनका ध्यान ज्यादा होता है। स्त्री से ज्यादा पुरुष को इन ग्रहों में संभल कर रहना चाहिए उन्हें पूजा पाठ में ध्यान देना चाहिए।

विदेश यात्रा का विचार
हर कोई जीवन में विदेश घूमना चाहता है लेकिन यह हर किसी के किस्मत में नही होता है विदेश यात्रा का विचार    जन्म कुंडली में चन्द्रमा से किया जाता है जिनकी लग्न कुंडली में चन्द्रमा ग्यारहवें या बारहवें भाव में होता है ऐसे लोग विदेश से समंधित कार्य करते है और उनके विदेश के दौरे भी लगते है अपने परिवार को भी ऐसे लोग विदेश का भ्रमण कराते है बहुत किस्मत वाले होते है यदि  वर वधु दोनो की कुंडली में यह योग हो तो उत्तम रहता है। जिनकी कुंडली में छटा चंद्रमा होता है ऐसे लोग भी विदेश यात्रा करते है। यदि चंद्रमा के साथ राहु हो तो यात्रा में कमी रहती है मतलब विदेशी दौरे कम होगे। 


राहु किस भाव में खराब 

राहु को जन्म कुंडली के सातवे भाव में खराब माना जाता है क्योंकि ये भाव विवाह ,जीवन साथी ,विवाह शांति का होता है राहु एक छल कपट शंकालु ग्रह है जो पति पत्नी में मदभेद पैदा करेगा जिससे परिवार की शांति भंग हो सकती है इसलिए जिनकी कुंडली में ये योग हो उनको किसी जोतिषी से मिल कर कुछ उपाय जरूर करने चाहिए ताकि थोड़े बहुत असर इसका कम हो।

लग्न में चंद्रमा राहु

जिनकी कुंडली में यह योग  प्रथम भाव में होता है वह अपने जीवन साथी के प्रति शंकालु होते है और उनको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। फ्रेश भोजन करे समय पर सोए। वैसे कुंडली में यह योग किसी शक्तिशाली नेताओ की कुंडली में देखा जाता है इस योग वाले लोगो को जीवन में सफलता थोड़े देर से मिलती है लेकिन जब मिलती है तो बहुत जबरजस्त मिलती है ऐसे लोग जीवन में उच्च पद को भी प्राप्त करते है इनका उद्देश्य जीवन में आगे बढ़ना होता है यह या तो जीवन में निष्क्रिय हो जाते है और यदि अपनी लाइन से जुड़े है तो अपने क्षेत्र में जब तक ये शीर्ष पर नही पहुंच जाते इन्हे चैन नहीं आता है।



























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