तुलाशीदास रचित रामचरित मानस पर इतनी चर्चा क्यों जाने Tulshidas rachit Ramcharit Manas par iatni charcha kyo jane hindi

तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर इतनी चर्चा क्यों जाने / Tulshidas rachit Ramcharit Manas par itni charcha kyo jane hindi

रामचरित मानस में तुलसीदास ने अवधी में जो सुंदर वर्णन भगवान राम के चरित्र का किया है उस भगवान राम के चरित्र का हर घर में गुण  ज्ञान  हो  यही उद्देश्य से तुलसीदास ने रामचरित मानस को अवधि में उसका सुंदर वर्णन किया है जिससे की लोगो में जगरूपता बढ़े लोग एक दूसरे का आदर करे भेदभाव खत्म हो । जन जन तक यह ग्रंथ पहुंचे और सब लोग इसका लाभ ले सके । लेकिन जब से बिहार के शिक्षा मंत्री ने बेतुका बयान क्या दिया की तब से रामचरित मानस पर कुछ लोगो को जैसे बोलने का मौका मिल गया । मीडिया को भी चर्चा करने बोलने के लिए अपनी टीआरपी के लिए कुछ तो चाहिए तो मुद्दा तो बनना ही है । राजनेता चाहे पक्ष के हो या विपक्ष के सबको कुछ न कुछ मुद्दा बोलने के लिए चाहिए। राम का कोई विरोधी नही रामचरित मानस का कोई विरोधी नही बस कुछ लाइनों को लेकर विपक्ष के लोग बोलते है उनमें भी समाजवादी और जनतादल आगे है खैर उनके नेता भी विरोधी नही उनके भी अलग अलग तर्क है करे भी तो क्या करे मुद्दा सामने आया है तो हर कोई उससे लाभ की सोचता है वो भी बिना किसी के बुरा बने। यह कैसे होगा आज हर पार्टी में सब जाति धर्म के नेता है  ऐसे ही जनता दल और समाजवादी में भी है इसलिए इनके नेताजी लोग सोच कर तो बोलते है लेकिन अगर इतना ही सोचना है तो विवाद में क्यों पड़ना है यह विषय राजनेतिक नही है इसे विषयों को लेकर धर्माचार्यों के पास जाना चाहिए। राजनीति में धार्मिक मुद्दे तो आने नही चाहिए हा धर्म को लेकर ही आना है तो सनातन को लेकर आओ। कोन कितना सनातनी को अपनी पार्टी से जोड़ सकता है वो भी बिना किसी विवाद के और दूसरी जो बात है वह यह है की कोन कितने सनातनियो को एक छतरी के नीचे लाकर उनको एक कर सकता है । बीजेपी  यह कर पा रही है इसलिए सनातन पर जिनको विश्वास है वह बीजेपी को ज्वाइन कर रहे है बहुत से लोग यदि बीजेपी को वोट नही भी देना चाहते है तो उनके सामने आज की तारीख में विकल्प नहीं है क्योंकि बीजेपी ने जो धर्म के मामले में हिंदुओ को जो जगाया है उसको तोड़ना आसान नहीं है बस हल्के फुल्के मुद्दो से जनता को भरमाया नही जा सकता है। आज रामचरित मानस को लेकर विपक्ष जितना बोल रहा है काश उतनी उन नेताओं ने अपने क्षेत्र में रामचरित मानस का पाठ कराया होता तो शायद जनता उनके पक्ष में खड़ी होती लेकिन उनको तो जनता तो दूसरे तरीके से भरमाना है जो शायद ठीक नही लग रहा । जनता भी इस बात को समझ रही है बस वह चुप है चुनाव आयेगे तब ही पता चलेगा कि कोन कितना बाहुबली है।



















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