जीवन में सकारात्मक सोच कैसे विकसित करे/ How to develop positivity hindi

जीवन मे सकारात्मक सोच कैसे विकसित करे /How to develop positivity in hindi

जीवन मे सकारात्मक सोच को विकसित करने के लिये हमें  अपने जीवन मे मामूली से बदलाव करने होंगे।  जिसमे मुख्य बदलाव अपने जीवन मे धैर्य को विकसित करना होगा। जीवन मे जब धैर्य विकसित होगा तब ही सकारात्मक सोच को जीवन मे जगह मिलेगी। सकारात्मक सोच किसी भी कार्य मे जब हम लगे होते है तो उसमे सकारात्मक सोच जरूरी होती है। जैसे हमने कोई प्रोजेक्ट बनाया उस प्रोजेक्ट को बनाते समय यदि हमारी सोच सकारात्मक होगी तो हम मेहनत भी उस प्रोजेक्ट में जम कर करेगे। यदि हमारी सोच नकारात्मक होगी तो हमारा हाथ उस प्रोजेक्ट को करने में ढीला हो जाएगा। जिसका परिणाम यह होगा कि जो अपेक्षा हमको उस प्रोजेक्ट से थी। वह नही मिल पाएगी। जब हमको उस परिणाम से अपने अनुरूप अपेक्षा नही मिल पाएगी तो हमारी सोच नकारात्मक की ओर जाएगी। बस यही हमारा काम है कि हमको इस नकारात्मक सोच को छोड़ना  होगा ओर सकारात्मक सोच के साथ जीना होगा। जब हम किसी कार्य को करते है तो उसको पूरा होने में समय लगता है। जब तक उस कार्य को करने में समय लगता है तब तक धैर्य की जरूरत होती है। यदि हम तब तक धैर्य को बनाये रखते है तो इसका मतलब हम सकारात्मक सोच की ओर है। सकारात्मक सोच को बनाये रखने के लिये विस्वाश की जरूरत होती है। विस्वाश कब प्रकट होगा। विस्वाश मेहनत के मामले में तब प्रकट होगा जब हम अपने हर कार्य जिसमे हम लगे है उस कार्य को बड़ी लगन से करे। जब हम अपने कार्य को लग्न से करेगे तो मेहनत भी उसमे करेगे ।जब मेहनत करेंगे तब उसके बाद हमको एक ही चीज की जरूरत होगी । वह चीज होगी धैर्य की । जब तक आपका कार्य पूरा नही हो जाता तब तक  धैर्य को बनाये रखना होगा। यही सकारात्मक सोच को बनाये रखने के लिये जरूरी है। एक चीज ओर है। कोई भी  ब्यक्ति तब ही सकारात्मक सोच की ओर बढ़ता है जब वह सत्य मार्ग की ओर अपने को अग्रशर पाता हो। सत्य मार्ग ही एक ऐसा मार्ग है जो तमाम कस्टो को झेलने के बाद भी मनुष्य को अपने मार्ग से विचलित नही होने देता है। जिसका परिणाम यह निकलता है कि मनुष्य की सोच सकारात्मक बनी रहती है। एक सही सोच के लिये धैर्य, विस्वाश, तीसरा सत्य मार्ग में चलना यह जरूरी है। तभी जाकर हम सकारात्मक सोच को बनाये रख सकते है।

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