जीव ओर आत्मा में अंतर सरल भाषा मे समझे / Jiv aur aatma me antr saral bhasha me samjhe hindi

जीव ओर आत्मा में अंतर सरल  भाषा मे समझे / Jiv aur aatma me antr sarkar bhasha me samjhe hindi

जीव और आत्मा में क्या अंतर  है यह जानना समझना जरूरी है। जीव एक प्राणी है जबकि आत्मा उसके अंतर बैठा सत्य है जिसको आँखों से देखा नही जा सकता है। जीव को आप आँखों से देख रहे है जबकि आत्मा को आखों से नही देख पा रहे है। 

इसलिये जब भी हम कुछ गलत या सही करते है उसका बोध सबसे पहले हमारी आत्मा को होता है। जब आत्मा को किसी सही या गलत का पता चलता है  तो आत्मा किस तरह के संकेत द्वारा मनुष्य को सचेत करती है यदि मनुष्य अच्छे कार्य करता है तो आत्मा उसके चेहरे के भाव द्वारा वह सब प्रकट करती है।

 जिससे कि मनुष्य को लगने लगता है कि वह सही रास्ते पर चल रहा है ओर सब कुछ अच्छा कर रहा है जिसमे उसका सुख तो हे ही साथ ही उसके घर परिवार का भी सुख निहित है लेकिन जब वह  मनुष्य कुछ गलत करता है तो उसकी आत्मा को आत्मग्लानि का जो बोध होता है उसको वह आजीवन नही भूलता है। 


 उसका कारण जो जीव जो कुछ देखता है जो कुछ करता है वह सब कुछ हमारी आत्मा देख रही होती है सब कुछ जानते हुए भी मनुष्य यदि गलतीं करता है तो वह उसके पूर्व जन्मों के कर्मो को दोहराता है या दुर्भावनावश वह वो कर बैठता है जिसको उसको नही करना चाहिये था। इसलिये जीव को हमेशा उसके अंदर बैठी आत्मा को साक्षी मानकर कार्य करे तो उसके सारे कार्य सही ओर दोष रहित होंगे। 


यही तो सत्य मार्ग पर चलने वालों की जीत का रास्ता है जिसके बल पर वे बड़ी से बड़ी बाधाओं को चुटकियों में समाधान निकाल लेते है। यही तो जीवन है जिसको समझना बुझना सही अर्थों में परमात्मा को पाने का सही मार्ग है। 


आओ आगे बढ़े सत्य के मार्ग पर एक कदम चले तो सही आपको जीवन का असल आनन्द प्राप्त होगा जो स्वार्थ रहित होगा लेकिन उसमे कष्ट तो संभव है पर उस कष्ट को झेलते हुए भी जो आनन्द मिलेगा उसको शब्दो मे बयान करना संभव नही है।




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