जोरू joru का गुलाम / Joru ka gulam hindi

जोरू joru ka gulam  का गुलाम / Joru ka gulam hindi


जोरू का गुलाम एक सामाजिक डायलोक ओर इसी के बल पर फ़िल्म का निर्माण । आज हम जोरू के गुलाम का परिचय आपको कराएंगे। कैसे किस तरह एक ब्यक्ति को लोग जोरू का गुलाम कहते है। कहने को तो सभी को यदि जोरू का गुलाम कहे तो अतिशयोक्ति नही होगी लेकिन फिर यह कहना पुरुषो के लिये न्यायोचित नही होगा। आखिर पति पत्नी की गाड़ी इसी तरह मिल कर चलती है इसलिये उसको जोरू का गुलाम नही कह सकते। लेकिंन आज आप जान पाएंगे कि असली जोरू का गुलाम कोंन है समाज यह डायलोक किस पर साबित करता है। जोरू का गुलाम आखिर डायलोक को उत्पन्न होने की जरूरत ही क्यो पड़ी। जोरू का गुलाम आखिर चीज क्या है। यही सवाल हर किसी के मन मे उत्पन्न होते है हो भी क्यो नही आखिर यह मुद्दा भी तो समाज से ही तो निकला है। जोरू का गुलाम का टाइटल किसी को तब मिल जाता है जब कोई ब्यक्ति जोरू मतलब उसकी पत्नी आने से पहले मातापिता की खूब सेवा कर रहा होता है । अपने मातापिता भाई बहन का हर तरह से ध्यान रखना । जैसे उनके खाने पीने का खासतोर पर बुजर्क मातापिता का अपने छोटे भाई बहनों का ध्यान रखना । रुपयों पेसो से उनकी मदद करना ।  उनकी बीमारी इलाज का खर्च के साथ उनका ध्यान रखना। शादी के बाद जब कोई ब्यक्ति इन सब कामो से पलट जाता है तो उसको जोरू का गुलाम टाइटिल से नवाजा जाता है। बहुत बार घर के लोग छोटी मोटी बातो में मजाक से भी यह टाइटल नवविवाहित जोड़ो को दे देते है । असल मे यह मस्ती के लिये होता है। यार दोस्ततो के द्वारा भी बहुत बार यह टाइटल जोरू का गुलाम तब दिया जब से उनका दोस्त पहले की तरह उनके साथ घूमने फिरने देर रात की पार्टी से इंकार करता है। अरे भाई शादी से पहले की जिंदगी अलग होती है ओर शादी के बाद कि जिंदगी अलग होती है यार दोस्ततो को भी यह समझना होगा। कुछ यार दोस्त अपनी पत्नी के प्रति बफादार होते है ओर कुछ बफादार नही होते है । बहुत से पति तो शादी के बाद भी अपनी देर रात की जिंदगी को बिताते है जिसकी वजह से बहुत बार पति पत्नी परिवार में क्लेश बढ़ जाता है। बहुत बार तो माता पिता को भी दखल देना पड़ता है। यह ठीक नही है। शादी के बाद दुनिया कुछ भी कहे पति को पत्नी का ध्यान रखना चाहिये।।अपने परिवार का ध्यान रखना चाहिये। यही कुशल जीवन है। सुखी जीवन है। 












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