How can stop fight in between father and sun hindi / बाप बेटे के दौरान लड़ाई कैसे रोके

How can stop fight in between father and sun hindi / बाप बेटे के दौरान लड़ाई झगड़े कैसे रोके 

बाप बेटे बीच लड़ाई होना आम बात है लेकिन यह सब पर लागू नही होता है। मातापिता बड़े  लाड़ प्यार से जिस बेटे को बचपन से पालते है वही बेटा बड़ा होकर बात बात में उनसे झगड़ता है। जो कि एक अच्छा संकेत पिता के लिये नही हो सकता है। माता को तो अपने रहते पिता देख सकता है लेकिन यदि बुढ़ापे में पिता गलतीं से अकेला रहता है तो उसके सामने समस्या आ जाती है। आज लगभग 80 प्रतिशत पिता चाहे वो गरीब हो मध्यम वर्ग से आता हो या बड़े घर का हो । इस समस्या से सभी परेशान है। मेने स्वंय बहुत बार इस तरह की चीजें हर स्तर के परिवार में देखी है इसी वजह से मैं यह ब्लॉक लिखने को प्रेरित हुआ हूं। बाप बेटे के समन्ध बचपन मे ठीक होते है तो फिर बड़े होकर वे समन्ध आखिर बिगड़ क्यो जाते है। बच्चा गलत  संगत में है तो समझ मे आता है कि इस वजह से समझ खराब हो गये है। जब बच्चे के आपके कोई भी बुरी आदत नही है फिर भी बेटे के समन्ध पिता से खराब होना क्या दर्शाता है। ऐसे अनेकों सवाल हमारे मन मस्तिष्क में उठते  है। बहुत बार हम इस चक्कर मे पंडितों ओर बाबाओं से मिलते है । वे हमें अनेक उपाय बताते है लेकिन फायदा फिर भी नही होता है। आखिर यह समस्या क्यो हो रही है इसी के बारे में जानते है।

How many reason to fight in between father and sun hindi /  बाप बेटे के बीच कोंन से लड़ाई झगड़े कारण  

बाप बेटे के बीच लड़ाई झगड़े ज्यादातर 15 साल की उम्र के बाद शुरू होते है ओर कुछ लोगो मे यह लड़ाई झगड़े 20 से 25 साल की उम्र के बाद शुरू होते है। जहाँ तक सर्वे में हमने  देखा  की यह लड़ाई झगड़े जो 15 साल की उम्र से शुरू होते है यह लड़ाई झगड़े ज्यादातर  बच्चे के भविष्य को लेकर होते है। जब आपका बेटा ठीक से पढ़ाई नही करेगा ओर जिसके चलते परीक्षा में नम्बर कम आएंगे तो बाप जरूर चिल्लायेगा। बाप का हक है वो चिल्लाए । यही से शुरू होता है बाप बेटे का मदभेद। बेटा बाप को अपना  दुश्मन समझने लगता है। दूसरा कारण यह होता है कि जब बेटा गलत संगत में पड़ जाता है जिसके चलते उसके परीक्षा में नम्बर तो कम आते ही है साथ ही दूसरों के साथ लड़ाई झगड़े की बाते जब एक पिता के सामने आती है तब पिता बेटे को समझाता है जिसके कारण यह पिता बेटे के बीच मदभेद उत्पन्न हो जाते है। तीसरा कारण जब लड़का अपनी मर्जी से किसी लड़की को पसन्द कर  लेता है पिता की परिवार की उसमे सहमति नही होती है तब दोनों के बीच तकरार बढ़ती है जिसके कारण मदभेद पितपुत्र के उभर जाते है। चौथा कारण एक यह है कि जब पुत्र के अंदर कोई भी खराबी न हो वह अपने काम करता तो है लेकिन जितनी लगन से उसे करना चाहिये । शायद वह उतनी लगन से नही कर पाता है जिसके कारण यथेष्ट परिणाम जैसे परीक्षा में नम्बर कम या नॉकरी की परीक्षा में उत्तम परिणाम का न होना  भी पिता पुत्र के बीच मदभेद उत्पन्न कर देता है। जिसका दोषी पिता पुत्र को मानता है ओर कहता है कि यह पढ़ाई ठीक से नही करता है जिसके चलते परीक्षा में नम्बर कम आते है । रात दिन सोता ज्यादा है इसका दिमाक सो गया है। वाकई में पिता जो बोलता है वह गलत भी नही कह रहा है। एक इसी तरह के मामले में मैं पंडित जी से मिला तो जो में बहुत बार उनसे मिल चुका था लेकिन वे भी बहुत बार सही चीजो को बतलाने में हिचकते है इसलिये वे ऐसे उपाय बताते है कि जिसमे घर मे मन्दिर में जजमान की पूजा तो करवा देते है लेकिन मूल समस्या को नही बताते है। एक बार जब मैने बहुत आग्रह करके पंडित जो को बताया तो वह कहने लगे कि बच्चे का गुरु नीच का है। मेने आखिर पूछ ही लिया कि कितने का है तो वह बोले कि यह डेढ डिग्री का है। ऊपर से सारे ग्रह राहु केतु के बीच है जिसके कारण हर कार्य मे समस्याये आएगी। इसे कालसर्प योग कहते है। तब मैंने खुद इस विषय मे अधिक खोज की तो यह पाया कि बच्चा जो कालसर्प योग की वजह से उसके ग्रह को जितना अच्छा से फल देने चाहिये थे। वह नही दे पा रहा था। बच्चे को रात में सपने में सर्प दिखाई देते है  जिससे वह डर भी जाता है वैसे यह कभी कभार होता है। लेकिन ग्रहों की खराब दशा में होने के कारण बेटा पढ़ाई तो करता है लकींन यथेष्ट परिणाम नही मिल पाते है। जिस कारण बाप बेटे के बीच फाइट मतलब लड़ाई झगड़े होते है । मेरी नजर में पिता को बहुत सोच समझ कर बेटे से समन्ध मधुर रखने चाहिये। जो कि एक कठिन कार्य है क्योंकि पिता नही चाहता कि उसका बेटा यो ही बैठा रहे। हर पिता चाहता है कि उसका बेटा एक अच्छा कार्य करे। जिससे समाज मे उसका भी नाम हो। परन्तु मैं तो यही समझ पाया हूं कि सब कुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिये।वही एक उत्तम उपाय है।






        



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