कहानी शराबी से आजादी एक महिला की आपबीती हिंदी / kahani sharabi se aajadi ek mahila ki aapbiti hindi
यह कहानी सच्ची है जिसका उत्तर भारत से लेकर इसका संबंध दूर पूर्वोत्तर तक है। कहानी में पात्रों के नाम बदल दिए गए है। कहानी की शुरुवात इस तरह से होती है की एक पारस लाल जो पूर्वोत्तर में जाकर नोकरी कर रहा है जिसकी लंबाई ५ft ५ inch रही होगी। वह गोरे रंग का बांका गबरू जवान था। शरीर में तागत की कोई खास कमी नहीं थी। भरती के समय पारस २०साल का रहा होगा। जब पारस २४ साल का हो गया तो उसके मातापिता को उसकी शादी की चिंता होने लगी। एक दिन पारस की शादी एक पहाड़ी लड़की जो बहुत सुंदर शरीर से हेल्दी थी उसके साथ हो गई। जिस लड़की के साथ पारस की शादी हुई वो कम उम्र की रही होगी लगभग २० साल की उम्र उसकी रही होगी। लड़की का नाम मीना था जो एक मधुर भाषी महिला थी। उसका यौवन बाहर को झलक रहा था। शादी के बाद पारस अपनी पत्नी को साथ लेकर जाता है।
जब पारस शादी के बाद पत्नी को साथ लेकर जाता है तब पारस की सारी अच्छी गलत बाते पत्नी मीना को चलना लाजिमी था। पारस एक शराबी किस्म का आदमी था। उसको शराब में बड़ा आनंद आता था। जब भी ड्यूटी खत्म होती पारस अपना शोक पूरा कर लेता था इस कारण से उसकी बदनामी भी बहुत हुई लेकिन वो मानने को तैयार नहीं था। पारस लडकीवाज भी था वह दारू के अलावा जब भी मौका मिलता अपना प्रिय शौक पूरा करना नही भूलता था। मानो यही उसका जीवन था। पारस की पत्नी मीना उसकी इन हरकतों से तंग आ चुकी थी। अब पारस दो बच्चो का बाप भी बन गया था। जब पारस अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभा नही रहा तो उसकी पत्नी उसको छोड़कर अपने गांव मतलब ससुराल आ गई। अब वह अपना जीवन खुद पर ही निर्भर होकर जी रही थी। वह आलू , टमाटर, धान , गेंहू की खेती करके अपने बच्चो को पढ़ा रही थी। चार कमरे का उसका अपना मकान था किचन था एक एकड़ जमीन थी। उसका सारा खर्चा अब घर से ही निकल रहा था। दूध के लिए उसने जानवर पाल रखे थे। वह बचा दूध बेच भी देती थी। घर खर्च ठीक चल रहा था। पति तो नाममात्र का था।
एक दिन मीना को याद आया की पति दो साल से घर नहीं आया ओर जो कमा रहा है उसको घर भी नही भेज रहा है तो एक दिन मीना एक जानपहचान वाले के साथ पूर्वोत्तर राज्य चली जाती है ओर उसका पता करती है वह देखती है की वह एक कमरा का सेट किराए पर लेकर नौकरानी लेकर आराम का जीवन जी रहा है। दारू की बोतल पास ही है। जब मीना कमरे में प्रवेश करती है तो वह दारू पीकर नसे में होता है वह मीना को काम वाली समझता है। पारस अपनी काम वाली का नाम पुकार कर कहता है सावित्री कांची मेहमान आए है चाय बनाओ असल में उसके साथ मैं भी था।। इसीलिए वह कह रहा था। यह सुनते ही उसकी पत्नी मीना का चेहरा लाल हो गया । उसने पास पड़ा डंडा उठाया ओर दो डंडा अपने पति को जड़ दिए। जब दो डंडे पारस के लगे तो उसका नसा उड़ गया । वो चारपाई से तुरंत उठा फिर नजर घुमाई तो पत्नी को पाया।
कुछ दिन मीना ने पति के साथ काटे। रोज रोज शराब के लिए झगड़ा से तंग मीना अपने घर आ गई। आगे की कहानी पार्ट २ में पढ़े।
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