एक सील पत्थर की दिल को झकझोर देने वाली कहानी /the story of sil pattar hindi
एक सील पत्थर एक दिन अपने मालिक से बोला की जब में किसी नदी या पहाड़ पर होता हु तो लोग मुझे अपने पैरो से रोदते है पर जब मैं किसी के घर पर सील के रूप में उनके घर की सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए मुझ पर मशाला रगड़ा जाता है तो कुछ हद तक में सहन कर लेता हु। पर जब तुम रोज मुझे अनेक तरीको से घिसते हो,
कभी पटकते हो, कभी लाल मिर्च तो कभी हरी मिर्च का प्रयोग मुझ पर करते हो। एक तो मेरे ऊपर अनेक घाव ऊपर से मिर्च नमक का प्रयोग। सोचो सोचो जरा मैं कितना कुछ सहता हूं। फिर तुम ही मुझको मेरे घावों को साफ करते हो। मैं सब कुछ सहता हूं।
परंतु मैं कभी अपने फर्ज से टस से मस नहीं हुआ आखिर क्यों। वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि मुझे शिक्षा ही इतनी कठोर।दी गई थी। मेरी ट्रेनिंग ही इतनी कठिन थी। तभी तो लोग मुझे पत्थर कहते है। मेरे उदाहरण भी लोगो को दिए जाते है जो मेरे समान कठोर।होते है वही इस पदवी को पाते है।
मुझे हर जगह लोगो ने अपने हिसाब से पीटा घसीटा, रगड़ा, मेरी चमक पाने को लोग बेताप रहते । वे मुझसे असीम प्यार भी करते है। मेरा स्पेशल ख्याल भी वे रखते ओर तो ओर वे मुझको पूजते । सोचो जो इतने कष्ट सहता वही तो आखिर में पूजा का अधिकारी बनता। किसी ओर को तो इंसान ने पूजा नही। मैं ही तो हु एक जिसको इंसान पूजता क्योंकि वो जानता है यही तो है जिसको मैं अपने अनुसार ढाल सकता है। जहा चाहु वहा इस्तेमाल कर सकता हु। यही मेरी कहानी सील पत्थर की है।