Sexy Hot shayari hindi fori Adult / सेक्सी हॉट शायरी फोर एडल्ट हिंदी

Sexy  Hot shayari for Adult hindi शायरी / सेक्सी हॉट शायरी फॉर एडल्ट हिंदी

धूप में क्यों निकलती हो

स्किन जल जायेगी

हम पर रहम करो

दिल को  कम से कम सेफ रखो।



घुघट का सहारा क्यों लेती हो

क्या मस्त  है तेरी चाल

छाता लेकर  धूप में निकलो 

कही चेहरा न  हो जाए आपका  खराब।



जब देखता हूं

चमकती स्किन तेरी

तो याद करता हु अपने भगवान को

सकुशल लोटे ये अपने घर को 

जहा जाति अपने काम से।


लाल टमाटर से गाल

उन पर चढ़ी क्रीम 

सबको नर्वश कर दे

जब तुम चली हिरण की चाल।


क्यों घमंड करती हो अपने बालो पर

ये तो नकली है

अगर घमंड ही करना है तो कर ले अपने कर्मो पर।


मैं घमंड नहीं करती

मैं तो  ब्यूटी पार्लर वालो 

वाले की जेब गरम करके

अपनी चमक  बढ़ाती हूं

ओर तुम्हारा घमंड तोड़ती हू।



पालर से दूर रह मेरी जान

एक दिन तेरी गोरी  चमड़ी

ढीली पड़ जायेगी

तब देखना कुदरत का कमाल।

उस समय बूढी लगोगी तुम

खुद पर शर्म महसूस करेगी तुम।



पालर से दूर केसे  रहु सनम

यही तो सारा राज छिपा है

जिसके बल पर

तुम आज तक बेवकूफ बनते हो।




सेक्सी शायरी हिंदी जो दिल को हिला दे।


तेरी अंगुलियों को जब मैं  काम करते देखता हु

तो दिल मेरा कांप जाता है

कही कोई खरोच उसमे न आ जाए

यही चिंता हमेशा लगी रहती है।



जब कॉलेज के गेट पर 

तेरे कदमों की आहट देखता है

तो मुस्कराकर स्वागत तुम्हारा करना चाहता हु

पर क्या करू वहा मेरे जैसे मजनू अनेक है

जो तुमको लुभावने के लिए

हाथ में फुल लेकर खड़े है।


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जिस दिन तुमको सुबह देख लेता हु उस दिन

मेरे सारे काम सही हो जाते है

जिस दिन तुम्हारे दर्शन नही होते है

उस दिन  सारे काम सही होने पर भी

कुछ न कुछ गलत लगता है।




न जाने क्या जादू है तुम्हारी मुस्कराहट में

मैं बीमार होने पर भी शीघ्र ठीक हो जाता हू

एक वो थी जिसको मैं चाहता नही था

लेकिन वो हमेशा पीछे पड़ी रहती थी

जिसके समय  स्वस्थ रहने पर भी

बीमार खुद को महसूस करता था।



रात कोई भी हो तुम मुझे सुंदर लगती हो

बस अंतर इतना है की चांद नी रात में तुम्हारा

बदन कुछ अलग ही खुशबू बिखेरता है।

वो खुशबू इतनी सुंदर होती है की तुमको

मेरा दिल अपनी बाहों में कैद करने को करता है।


तुम इतनी हठी कब से बनी

मेरे बुलाने पर भी इनकार करती हो

क्या मुझ पर विश्वास नहीं है

या अपनी जवानी खोने का डर है।



जब तक मेरे शरीर में जान है तब तक

 तुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं  

यदि किसी से तुझे छुआ तो

चीरफाड़ उसे मैं दूंगा।


तुम अपनी कामुकता छिपाती हो

यह मुझे अच्छा लगता है

किसी की बुरी नजर तुझ पर न पड़े

इसलिए रोज सड़क के चौराहे पर

लाल मिर्च जलाता  हूं।



क्यों हो इतनी गमगीन

गमों की ये दुनिया सारी

हंसी मैं जो इसको बदल दे

वही तो है सुखिन।



नमक मिर्च क्यों झिड़कती हो

ओर काहे इतना गुस्सा दिखाती हो

यदि दिखाना ही है

तो अपने नजरो के तीर से घायल मुझको कर दो।



मैं कोई घायल शेरनी नही

जिसके पास बदला लेने का अपना हक हो

मैं तो नाजुक कली हूं

जो सिर्फ बाहरी गुस्सा दिखा कर 

तुमको करती है बैचेन

जिससे की तुम्हारा दिल पसीज जाए

ओर तुम मेरी डोली लेने  शीघ्र मेरे घर आओ।




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