सच से भागना मतलब झूठी जिंदगी जीना

सच से भागना मतलब झूठी जिंदगी जीना

हम अक्सर सच से दूर भागते है जैसे की हमको पता है की हम दोषी है फिर भी हम सच स्वीकार करने से दूर भागते है। सच से दूर भागना मतलब झूठी जिंदगी जीना। झूठी जिंदगी अच्छी लगती है इसलिए लोग उसको जीना चाहते है सच की जिंदगी में लोगो को टेंशन लगता है लेकिन वे भूल जाते है की सच की जिंदगी बुढ़ापे में सुकून तो देती ही है साथ ही जवानी में भी बेफिर्क जी सकते है उसके लिए ज्यादा झूठ बोलने की जरूरत नहीं पड़ती है। एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने वाली कहावत तो सुनी ही होगी। इसलिए ऐसा काम ही करने से बचे जिसमे एक झूठ को छिपाने के लिए  सौ झूठ बोलने पड़े। झूठ का इस्तेमाल हम तब करते है जब हमको अपनी झूठी प्रतिष्ठा बनानी होती है या अपनी इज्जत को बचाने के लिए भी हम झूठ अक्सर बोलते है। झूठ का इस्तेमाल बहुत बार हम अपने अपराधो को छुपाने के लिए भी करते है बहुत बार हमारी चाल कामयाब हो जाती है लेकिन जीवन में कही न कही हमारा झूठ हमको कचोटता है। जब हमको किसी का हक मारना होता है तब भी हम अनेक प्रपंच लगाते है या करते है क्योंकि हमे दूसरो को धोखा जो देना होता है। सबको पता है की मृत्यु अटल है उससे इनकार नहीं किया जा सकता है फिर भी हम जीने की भरपूर कोशिश उस अवस्था में करते है जिसमे जीना या उसका इलाज मिलना मुश्किल होता है यह जीवन का कड़वा सच है इसको स्वीकार करना सीखो।  जीवन में झूठ बोलकर अपने लिए पाप इकठ्ठा मत करो। यही तो सनातन धर्म है । सनातन  प्रकृति से जुड़ना सिखाता है उससे कुछ तो सीखो। यह आदिकाल से चल रहा है इसको मिटाया नहीं जा सकता है इसको स्वीकार करो। उसको मिटाया जा सकता है जो इंसान ने बनाया लेकिन जिसको प्रकृति ने खुद बनाया उसको कोई नही मिटा सकता है। यही तो सच है इसको स्वीकार करो।




आज भारत में राजनीति में कुछ लोग सच से भाग रहे है जिस कारण चुनाव में जनता उनका साथ देने को तैयार नहीं। एक तरफ नरेंद्र मोदी  है जो सच को स्वीकार कर रहे है और खुद की पार्टी को आगे बढ़ा रहे है साथ ही देश को प्रगति भी दे रहे है। इसको कोई झुठला नहीं सकता। अब तो विरोधी भी मानने लगे है की सरकार मोदी जी की  ही आनी है। बीजेपी प्रचंड बहुमत से चुनाव जीत रही है। विपक्षी लोग भी इसलिए बीजेपी को ज्वाइन कर रहे है और सच को स्वीकार कर रहे है जो सच को स्वीकार नहीं कर रहे है वे असफलता को अपना रहे है। भारत में लोकतंत्र है और इसलिए देश में विपक्ष का होना जरूरी है लेकिन क्या करे एक मजबूत विपक्ष तलाश करना आज के समय में टेडी खीर है इसको समझना ही होगा और सच को स्वीकार करना ही होगा।








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