कविता सविता गीता कविता पाठ

कविता सविता गीता कविता  पाठ

कविता सविता गीता कविता
बताओ किंतनी कविता
मुझे तो एक लगती है
अब तुम बताओ किंतनी कविता।

हम करते अपनी कविता
तूम सुनाते अपनी कविता
ये दुनिया बनाती अपनी कविता
हम दुनिया को सुनाते अपनी कविता।
कविता सविता गीता कविता
चारो बहने लगती
जो रोज 
सुनाती अपनी गीता।

हम सुनते कृष्ण की गीता
वो सुनाते अपनी गीता
हम खुश हो जाते
जब हम रूढ़ जाते वो हमको मनाते।

हम जब रूढ़ जाते
वो प्यार से हमको मनाते
दही चूडा खिला कर
हमारा मन बहलाते।
वो गीत गाते 
आगे पीछे हमारे गुनगुनाते
क्योकि वो एक नजर हम पर डालते
क्योकि दिल से वो हमको चाहते।

हम भी उनको बहुत प्यार करते
क्योकि जीवन मे उनको हम निहारते
खुशहाली का दामन थामे
उनके सहारे हम जीते।




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