आत्म ज्ञान क्यो जरूरी /Aatm gyan kyo jaruri hindi

जीवन मे आत्म ज्ञान क्यो जरूरी /  jivn me Aatm gyan kyo jaruri hindi

जीवन मे आत्मज्ञान क्यो जरूरी  /  Jiwan me Aatmgyan kyo jaruri hindi
जीवन मे आत्मज्ञान की जरूरत इस नशवर शरीर को पड़ती है। बिना आत्मज्ञान के हम एक साधारण मनुष्य है लेकिन जब हम आत्म ज्ञान प्राप्त कर लेते है तो हमारे शरीर के अंदर एक नई चेतना आ जाती है। जीवन मे मनुष्य चिंतन करते रहते है। चिंतन जीवन का आनंद है । जब हम चिंतन करते है तो एक अलग ही हम जीवन हम अपने मे पाते है। जब हम किसी ज्ञानी पुरुष के पास आत्म चिंतन के लिये जाते है। हमारा मकसद उस आत्मचिंतन का होता है कि हम  कैसे आत्मज्ञान प्राप्त करे। जीवन मे आत्म ज्ञान बहुत जरूरी चीज है। यदि हमारे पास आत्मज्ञान नही होता है तो
हम कैसे ईस्वर को प्राप्त कर सकते है। अस्तमज्ञान ही इस ज्ञान है जिसके बल पर हम मोक्ष प्राप कर सकते है। यह सीधा सच्चा साधन है यह आत्म ज्ञान उसी को मिलता है 
है जो सरल हो । अब आप सोचेंगे कि सरल क्या है सरल का मतलब है कि  सच्चा जिसके अंदर लेशमात्र भी झलकपड न हो । उसी की भक्ति को परमपिता परमात्मा स्वीकार करए है।अब सवाल उठता है कि परमात्मा कोन है परमात्मा वही आत्मा है जो हमारे अंदर विराजमांन है। उस आत्मा में जो चित्त है वह साफ नही है उसको बहुत कुछ चाहिये लेकिंन जो आत्मा है वह संतुष्ट परमात्मा का स्वरूप है जब चित्त आत्मा में लौट कर आता है तो वही परमात्मा है । यह कब होता है जब उस ब्यक्ति को ज्ञान की अनुभूति होने लगती है। ज्ञान कहा से आएगा। ज्ञान गुरुओं से मिले संदेश ज्ञान को ग्रहण करने से मिलता है। उस ज्ञान पर चिंतन मनन करने से जो सार्थक अनुभूति शरीर के अंदर चित्त के द्वारा आत्म को होती है वही ज्ञान है। जब हम वह ज्ञान प्राप्त हो जाता है। तब हमारा चित्त का मैल घुल जाता है जिससे आत्मा शुद्ध होती है। जीवन मे आत्मज्ञान जरूरी है बिना आत्मज्ञान के हम वो चीज करने में अक्षम रहते है जिसको तो हम करना चाहते है पर उस दिशा का ज्ञान न होने की वजह से या कह सकते है कि सहिंदीश का पता नही होने से रास्ता भटक जाने की वजह से काम जो हमने सोचा था वो काम हो नही पाता है। कर्म ही पूजा है ये हम जानते है लेकिन उस कर्म को सही दिशा देने बहुत जरूरी है। गलत दिशा में किया गया कर्म कभी भी सफलता नही देता है। इसलिये कर्म करते समय आत्मचिंतन जरूरी है। एक आत्मचिंतन से किया कर्म
सफलता है द्वार खोलता है। बिना आत्मचिंतन के किया गया कर्म बहुत कम मौके होते है उसके पास सफलता के द्वार खोलने के लिये। इसलिये यदि तुम आगे बढ़ना चाहते हो तो जिस भी कार्य को कर रहे हो उसमे आत्मचितंन जरूरी है। मैं तो यह कहूंगा कि आत्मचिंतन सफलता की कुंजी है। समझो तुम आईएएस की परीक्षा देने का फॉर्म बिना आत्मचिंतन के भर दिया लेकिन तुमने अपने को पहचाना नही की मैं इसके लायक हु की नही और बिना आत्मचिंतन के अपने कार्य करने लगे।क्योकि ये कार्य आपने बिना आत्मचिंतन के किया था आप उस लायक उस तरह की तैयारी व समय उस परीक्षा को नही दे सकते है तो सफलता
मिलना कठिन हो जाता है। सफलता के लिये मेहनत तो  बहुत जरूरी है । लेकिन खाली मेहनत से कार्य नही होगा। यह पर आपको एक सामान्य ब्यक्ति की तरह उच्च कोटि का ज्ञान होना पड़ेगा। हर विषय की अच्छी समझ होनी पड़ेगी।
अधूरा ज्ञान के बल पर कोई भी इस तरह की परीक्षा को पास नही कर सकता है। इसलिये आत्मचिंतन की जरूरत है किसी भी परीक्षा की तैयारी से पहले । यह खूब अच्छे से जान ले कि हम ये कार्य जिसमे हाथ डाल रहे है उसे कर पाएंगे कि नही। चिंतन बहुत जरूरी है। तभी हम और हमारा समाज आगे बढ़ पायेगा। आत्म ज्ञान मोक्ष के लिये भी जरूरी है तभी तो हम अलग अलग गुरुओं के पास ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से जाते है। गुरु ज्ञानी हमे बताते है कि किस तरह हमे आत्मचिंतन करके मोक्ष प्राप्त हम कर सकते है। हमने जन्म लिया है इसलिये की हमारे कर्म अच्छे थे  जो हमने मनुष्य योनि में जन्म लिया है। मनुष्य योनि ही ऐसी योनि है जो हमको मोक्ष की तरह ले जा सकती है। लेकिन ये इतनी आसानी से मिलने वाली नही है। इसके लिये हमें आत्म चिंतन करना होगा। आत्मचिंतन खुद भी कर सकते है या किसी गुरु महाराज जी के सानिध्य में भी ज्ञान लेकर इसको शुरू कर सकते है। आत्मचिंतन जीवन का वो हिस्सा है जिसके बिना हम अधूरे है। जो लोग आत्मचिंतन करके कार्य करते है उनके कार्य सदा सफल रहते है। क्योंकि ब्यक्ति सफल इसलिये होता है कि उसका बल सही दिशा में लगा है। यह संभव आत्मचिंतन की वजह से हुआ है। इसलिये जीवन मे आगे बढ़ने के लिये आत्मचिंतन जरूरी है।
आत्म ज्ञान मनुष्य को अंदर से मजबूत बनाता है। जिन लोगो के पास आत्म ज्ञान का अभाव होता है  ओर जो लोग आत्म चिंतन नही करते है वे कई बार बहुत परेशान रहते है। उसका कारण उनके अंदर धैर्य की कमी देखी गयी है। जो लोग चिंतन करते है उनका हर कदम बहुत सोच समझ कर उठता है जिसकी  वजह से उन्हें अपनी निजी जिंदगी में परेशानियो का कम सामना करना पड़ता है। मनुष्य जीवन में यदि सोच समझ कर  क़दम नही उठाता है तो उसे परेशानियो का सामना करना पड़ता है। जीवन को मधुर बनाने के लिये आत्म चिंतन जरूरी है। जीवन तभी सुखी रह सकता है जब हम सही सोच विचार करे। महापुरुषों के रास्ते को अपनाए। परमात्मा में ध्यान लगाये। किसी को दुखः नही देने की शिक्षा को अपनाये। दुसरो की बुराई करने से बचे।
जीवन मे मधुर बनाने के लिये आत्मचिंतन के साथ योग का सहयोग भी जरूर लेना चाहिये। जीवन मे हँसने की कला को दूसरों में बाटे। खुद भी हर संभव प्रसन्न रहने की कोशिश करे। दुखः कितना ही क्यो न आये उसको झेलने की क्षमता पैदा करे। यदि ये क्षमता पैदा नही कर पाएंगे तो ब्यक्ति टूट सकता है। टूटा ब्यक्ति कुछ नही कर सकता है। वह तो केवल असन्तोष का कारण ही बनता है। इसलिये परमात्मा ने सुखदुःख सबको उनके कर्मों के अनुसार दिये है। जीवन मे इसलिये अच्छे कर्म करने चाहिये जिससे कि दुखः पास भी न आये। इसलिये दुखः दूर करने के लिये आत्मचिंतन की जरूरत है। आत्मचिंतन ही आत्मज्ञान देता है। यदि हम आत्मचिंतन करेगे तो आत्मज्ञान तो अपनेआप मिल जाएगा।







Previous
Next Post »