आत्मज्ञान क्या है ? आत्मज्ञान ओर ज्ञान में अंतर/ Atmgyan kaise milta he ? Atmgyan aur gyan me antar hindi
आत्मज्ञान क्या है / atmgyan kya he hindi
आत्मज्ञान ज्ञान का वह दीपक है जिसको जाग्रत करने से चित्त की सफाई उस तरह से होती है जैसे सर्फ साबुन से कपड़ो की घुलाई करते है। अब सवाल उठता है कि आत्मा को किस तरह जाग्रत करने के लिये क्या करे। आत्मा को
जाग्रत करने के लिये हमे चिंतन या जप करना पड़ेगा। चिंतन या जप किस तरह का हो क्या वह किसी का नाम जपने का हो सकता है। चितन या जप किसी का नाम जिसमे हमे श्रद्धा होती है या किसी गुरु द्वारा दिया मन्त्र के द्वारा हमे प्राप्त होती है। किसी भी नाम को जपने का लाभ हमे इस प्रकार मिलता है कि हम उस नाम को यदि जपते है तो हमारी श्रद्धा उस नाम मे बराबर बनी रहती है।जिसका लाभ हमारे चित्त को मिलता है। चित्त को लाभ मिलने से आत्मा अपने आप शुद्ध होती है । चित्त ही आत्मा का दूसरा रूप है। चित्त को यदि हम सुधार लेते है तो आत्मा अपने आप शुद्ध हो जाएगी। चित्त को शुद्ध करने के लिये हम सुबह स्नान करते है जबकि स्नान का चित्त से सीधे कोई मतलब नही है लेकिन एक अच्छी फिलिग का अनुभव हमे रोजाना का स्नान करवाता है। इसलिये स्नान जरूर कीजिये। कहते सुना होगा कि तन चंगा तो मन चंगा। शरीर स्वास्थ्य होगा तभी दिल आत्मा को भी अनुभव अच्छे मिलेंगे
। आत्मा तो हर ब्यक्ति के अंदर निवाश कर रही है जिस ब्यक्ति में या प्राणी में जान है उसमें प्राण है। लेकिन मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसके पास सोचने समझने ओर अपने को मोक्ष प्राप्त करने की शक्ति है। मनुष्य इसके बाबजूद भी मोक्ष प्राप्त नही कर पाता है कारण यह है कि माया ने उसकी आँखों मे पट्टी बांध रखी है इसलिये उसको सिर्फ मोह जैसे पारिवारिक मोह धन सम्पति मोह ,पत्नी मोह पुत्र पुत्री मोह अंत मे एक कठिंन मोह जो वासना का मोह है। इन सब मोह में ही ब्यक्ति फंसा रहता है जो लोग इन सब मोह से निकल जाते है उनको आज भी मोक्ष मिल जाता है।
इसलिये यदि व्हहते हो । इसलिये यदि मोक्ष चाहते हो तो
अच्छा साहित्य पढ़ो। जरूरत पड़ने एक सच्चा गुरु बनाओ।
उनके द्वारा ज्ञान ग्रहण करो। उस ज्ञान को अपने चित्त में बैठाओ। झूठे वादों झूठी तमन्नाओ से दूरी रखो। वासना आत्मा शुद्धि में एक बड़ा रोड़ा है उसको ओलाद निमित समझो। उम्र के हिसाब से सबको सम्मान दीजिये। बड़ो का आदर ही आपको नयी दिशा दिखायेगा। बड़ो का निर्णय गलत भी हो तो भी उनका आदर करो। जैसे श्री पुरषोत्तम राम ने किया। यदि उतना नही भी कर पाते है तो भी उनका अपमान कभी मत कीजिये। संस्कार जो बुजुर्को से मिले है। उनका पालन कीजिये। बुजर्क चाहे बुरे ही क्यो न हो उनका सदा आदर व सेवा कीजिये। ये सब जब कोई भी ब्यक्ति करता है तो उसकी आत्मा उसकी आत्मा को विशेष आनन्द प्राप्त होता है। यह आनन्द ही आत्मा की शुद्धि का रास्ता बनता है।
आत्मज्ञान और ज्ञान में अंतर / Atmgyan aur gyan me antar hindi
आत्मज्ञान और ज्ञान में यही अंतर है कि जो आत्मज्ञान आत्मा को शुद्ध ओर मोक्ष प्राप्त करने के लिये किया जाता है। पाप कर्म से बचना मुख्य उद्देश्य होता है लेकिन ज्ञान किसी भी तरह का हो सकता है जैसे कोई विमान बना है कोई मोटर गाड़ी बना रहा है कोई आधुनिक मिसाइल का निर्माण कर रहा है। यह सब ज्ञान है । ज्ञान का मतलब तो आप समझ गए लेकिम आत्मज्ञान वो अलग चीज़ है। ज्ञान तो कोई भी ले सकता है आत्मज्ञान हर कोई नही ले सकता है। आत्मज्ञान और ज्ञान किसी के द्वारा लिया जा सकता है। आत्मज्ञान ओर ज्ञान दोनों ऐसी विधाएं है जिनको बिना
किसी की मदद से भी प्राप्त किया जा सकता है। बशर्ते ब्यक्ति में उस चीज के ऊपर ध्यान केन्दित होना चाहिये।यही है ज्ञान ओर आत्मज्ञान का विश्लेषण।।
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आत्मज्ञान में रोड़ा हमारा वो अहंकार है जिसको हमने पाल रखा है। बड़े अच्छे तरीके से संजो कर रखा है। अहंकार को हम अपनी शक्ति मानते है। अहंकार को हम अपनी तागत मानते है। क्योंकि जब हमारे पास अहंकार के लिये थोड़ा बहुत कुछ हो जाता है तो हम कह बैठते है वो अपने को क्या समझता है वो तो मेरे सामने बैठने लायक नही है यही है अहंकार। इस अहंकार को हमे छोड़ना होगा। यदि हमें आत्म
ज्ञानी बनना है तो सुबह उठकर सबसे पहले इस अहंकार को दूर करने की कोशिश कीजिये। लेकिंन अहंकार को दूर करते समय देश भक्ति को नही भूलना है। देश भक्ति को हमेशा याद रखना है देश भक्ति के समय किसी को धमकी देने का आता है तो उसको नम्र होकर धमकाना चाहिये। उच्चे स्वर में धमकाना ठीक नही है।
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