मेरी माँ ( इजा ) पर निबन्ध

मेरी माँ ( ईजा ) पर निबन्ध


मेरी माँ प्यारी सी भोली सी मां जिसको हम कुमाउँनी में ईजा नाम से संबोधित करते है। हमने अपनी मां को हमेशा कुमाउँनी में ईजा बोलकर कर ही संबोधित किया है। आखिर
करे भी क्यो नही ईजा शब्द ही इतना प्यारा है। वो हमको प्यार भी बहुत करती है। जन्म से आजतक हमारी मां ने हमको प्यार ही दिया है लेकिन हम नासमझ बहुत बार उस प्यार को समझ नही पाये। हमारी मां( ईजा ) का प्यार ही इतना सुंदर होता है क्योंकि वो ठेड़ कुमाउँनी है। पहाड़ी में प्यार से बोलती है। पहाड़ी में प्यार से गाली देती है । जब हमारी मां प्यार से बोलती है तो भी ऐसा लगता है कि वह प्यार कम कही झगड़ तो नही रही है लेकिन यह झगङा नही यह तो हमारा अपनापन है। जब हम छोटे थे वो कही भी जाती हमारे लिये खाने की चीज जरूर लाती।



 मुझे बचपन के वो दिन आज भी याद है जब वो चीज लेकर आती थी हम खुशी से झूम जाते थे। हमारी मां बहुत भोली है वो पहले भी भोली थी वो आज भी भोली है। हमारी  मां बहुत मेहनती है। उनको मेहनत करने में असीम आनन्द आता है। वो कभी भी मेहनत से जी नही चुराती थी। वो एक ईमानदार भारतीय महिला है। वो आज 90 साल की है । पिछले 3 साल से उन्होंने चारपाई पकड़ रखी है । उसका कारण उनको फालिश शरीर के एक हिस्से में पड़ गया है। लेकिन वो एक निडर महिला है। वो एक सच्ची भारतीय नारी का रूप है। इस विकलांग की अवस्था मे भी वो किसी से  ही डरती है। जरूरत पड़ने पर अपने से  छोटो को धमकाती भी है फिर उसी समय प्यार से बोलती भी है। 



हमारी मां इतनी हिम्मतवाली है कि एक बार हमारे यहां रात को अंधेरे में  चोर  आया । हमारी मां ओर पिताजी घर के आंगन में  चारपाई पर सोये थे । उस समय जब चोर आया तो उसके हाथ मे हथियार देखकर हमारी मां पहले थोड़ा डर गयी क्योकि चोर के हाथ मे हथियार था। लेकिन अगले पल ही उसने चोर को पकड़ लिया।और पिताजी को जगाने लगी लकीन तभी चोर ने एक झटका मारा और वह भाग गया । ऐसी हिम्मतवाली है हमारी ईजा । 



आज वो बहुत बीमार है इलाज चल रहा है। जब वो थोड़ा सा भी ठीक हो जाती है तो वो प्यार से हमसे बोलती है। हम उसकी आवाज सुनकर बहुत खुश होते है। गलता है अब वो कहा ठीक होगी। डॉक्टर कह रहे है कि इनकी बस सेवा करते रहो।  वाकि अब उम्र हो गयी है और कुछ नही हो सकता है। हम अपनी मां की कुशलता की कामना सदा करते है। हम लोग चार भाई दो बहिन है। सभी ईजा को बहुत प्यार करते है।।













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