मां पर निबन्ध /Essay on my mother hindi

 मां  ( My Mother ) पर निबन्ध / Essay on mother hindi

मां तो मां होती है। माँ जैसा इस दुनिया मे कोई नही । हम अपने जीवन मे किसी का भी कर्ज चुका सकते है लेकिन मां का कर्ज चुकाना आसान नही है। माँ ने 10 महीने पेट मे हमको रखा है। अपने खून से हमको सींचा है। जब जन्म होकर हम बाहर आते है तो वह हमारा लालन पालन करती है। अपना दूध हमे पिलाती है। माँ जैसा कोई नही। कितना कष्ट झेलती है जब हम बचपन मे कपड़े गीले करते है तो वह हमको सूखे में सुलाती है और खुद गीले में सो जाती है। जब बचपन मे हम बीमार होते है तो वह  रातों को  जागती है। अपनी नींद व भोजन की चिंता किये बिना वह हमको देखती है ऐसी होती  मां। मां की यादें जीवन की अनमोल घरोहर होती है। माँ जीवन की जितनी  मुस्किलो से गुजरती है उतना  कोई भी अपने बच्चों के लिये बलिदान नही करता है।
पिता का जीवन मे एक अहम रोल होता है क्योंकि वह जीवन को पालन पोषण करने के लिये जरूरी चीजो का उपार्जन करते है। लेकिन मां की तपस्या के सामने वो कुछ नही है।  जहाँ तक मुझे अपनी माँ के बारे ।के पता है वह मेरा बचपन मे बहुत ध्यान रखती थी। वह एक मिनट के लिये भी मुझे अपने आखो से ओझल नही होने देती थी । यह उसकी  विशेषता  थी। मां जब भी बाहर से आती थी वो मेरे लिये गिफ्ट लेकर आती थी। यदि वो किसी  पार्टी में जाती तो मेरे लिये जरूर कुछ न कुछ लेकर आती है। वो कभी भी कोई चीज अकेले नही खाती। वह हम भाई बहनों से बहुत प्यार करती थी। वह  बहुत मेहनती है। वह काम करने से पीछे नही हटती है। गाँव मे भी सब उनको बहुत प्यार करते है।










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