प्रेम रस में डूबी शायरियां / prem ras me dubi shayri ya new hindi

 प्रेम रस में डूबी शायरियां /Prem ras me dubi shayriya

मैं कोई तेरा आशिक नही                                              मैं तो उससे भी बढ़कर हु
तू कह तो सही
मैं तेरे लिये तारे भी ला सकता हु।
सृन मेरी प्रीति
तूने मुझे अभी तक गाँव  का छोरा ही समझा
मैं अब गाँव का छोरा नही
मैं अब गाँव का हीरा हु

गाँव की सारी लडकिया 
आज मुझ पर नाज करती है
हर कोई मुझ पर 
आज मरती है।

मैं भी नादान नही
उनकी भोली हरकत को समझता हूं
पर नादान बन कर
उनको टालता रहता हूं।

मुझे तो प्रेम है तुमसे प्रीति
डूबा रहता हूं सदा तुम्हारे ख्यालों में
कोई मुझे डगमगा नही सकता 
तुम्हारे प्रेम का रसपान करने से

आज कसम तुम्हारी खाता हू
प्रेम तुमसे ही करता हु
प्रेम में दिल तुमको दिया
ओर किसी को इसका हक नही दिया।

चिंता ना करो तुम
एक दिन तुम्हारे घर आऊँगा
हाथ मागूँगा बापू से तुम्हारे
प्रेम का अटूट रिस्ता निभाउंगा।

मैं प्रेम रस में तुम्हारे इतना डूबा हु
बाहर निकलना मुश्किल है
बिना तुम्हारे प्यार के
अब जीना मुश्किल है।

शुभ घड़ी अब वो आ गयी है
रिस्ता लेकर मैं तम्हारे घर परसो आऊँगा
कह देना अपने बापू से 
प्यार तुम्हारे सिवा में किसी को करता नही।


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