भारत का वीर सैनिक कविता / Bhart. ke vir senik kavita hindi

भारत का वीर सैनिक कविता /  Bhart ka vir senik kavita hindi

हे वीर तुम भारत के वीर हो
सीना तानकर बॉर्डर पर चलते हो
जब दुश्मन बॉर्डर पर हमारे घुसता है
पटक पटक कर तुम मारते हो।

ये देख हम आम जनता
लोहा तुम्हारा मानती है
जीने को हजार वर्ष कम 
हम लाखो वर्ष जीना चाहते है ।
हे वीर सेनिको माथा तुमने
हमारा उठाया है
एवरेस्ट समान करके
मान हमारा  बढ़ाया है।

बॉर्डर पर शरद ओर गर्म की चिंता छोड़
राजस्थान की तपती रेतीली  भूमि हो
या हाड़ मांश कपकपाने वाली हिमालय की ठंड हो
तुम कभी पीछे नही हटे,हमेशा तुम आगे बढ़े आगे बढ़े।

अपनी इन भुजाओं का बल 
बंदूक के साथ दिखाया है
कम हम किसी से नही
भारत के बल को तुमने हर मौके पर साबित किया है।

घर बार की चिंता छोड़
बॉर्डर पर जब तुम जाते हो
दुश्मन का माथा नीचे कर
हर बार अपना माथा उच्च किये हो।

देश को आज नाज है तुम पर
तुम असली भारत के हीरो हो
फिल्मों में दिखते नकली हीरो
तुम्हारे सामने लगते सब जीरो 

परीक्षा तुम्हारी चल रही थी
आगे भी परीक्षा जारी रहेगी
हमे विस्वाश है तुम पर
तुम परीक्षा में आओगे नम्बर वन

कैसे न आओगे नम्बर वन
दादा ने देश सेवा की है
मा ने जो देश भक्ति का पाठ पढ़ाया है
दूध में अपने  देश  भक्ति घोल कर खूब पिलाई है।

इसी लिये देश पर आंच तुम नही आने दोगे
ये हम जानते है
देश पर आंच आने से पहले                                        खुद को बहुत बार तुमने  कुर्बान किया है।


माये  पत्नियां तुम्हे तिलक कर बॉर्डर पर भेजती है
बिना घबराहट के किसी बात की चिंता किये बिना 
देश सेवा से बड़ा कोई धर्म नही
वो ये खूब जानती है ।

अंत मे जीत भारत के वीरों की होगी
निस्वार्थ वे देश की सेवा करते है
सिर्फ पैसे नही
मन से वे देश की सेवा करते है।







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