सपने में भिखारी देखना /sapne me bhikhari dekhna hindi

सपनो में भिखारी देखना का मतलब / sapne me bhikhari dekhne ka matlb hindi

भिखारी एक ऐसा शब्द है जिसको सृण कर कोई भी चिढ़ जाता है। अगर किसी को भिखारी कह दीजिये तो वह आपके पीछे पड़ जायेगा। भिखारी एक शब्द नही है। इस भिखारी शब्द के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी छिपी है। जिसको हमको समझना चाहिये। हम अकारण ही किसी को भिखारी कह देते है। यह टिक नही है। अच्छा खासा धनी व्यक्ति को भी भिखारी कह देते है। आजकल तो पूरे देश को ही भिखारी जैसे शब्दों से नवाजा जाता है। जेसे की कुछ देशों को वहां की जनता कहती है। बाहर के लोग भी उन्हें कहते है। असल मे गलती उनकी नही है।गलती जो सिस्टम बना है उसको ईमानदारी से नही चला पाने के कारण यह
समस्या आती है। देश के लोगो ने शासन किया कुछ पहले कहा कर चले गए। कुछ अब कहा रहे है।इस हालत में उस देश के समन्ध यही भिखारी शब्द का इस्तेमाल वहां के देश के नागरिक करने लगते है।उनको यह शव्द शोभा नही देता है। आखिर वे उस देश के वासिंदे है । देश के वाशिन्दे को अपने देश चाहे वो कोई भी दुनिया का देश हो उसको ऐसे शब्दों का इस्तेमाल अपने देश के लिये नही करना चाहिये। हर व्यक्ति को अपने देश के प्रति वफादार होना चाहिये। देश पर शासन करने वालो को देश के प्रति सोचना चाहिये।आवाम की बेहतरी के लिये उपाय करने चाहिये।यदि सत्ता पक्ष कुछ अच्छा कर रहा है तो विपक्ष को उज़क साथ देना चाहिये। शायद मुझे लगता है कि देश इसी तरीके से बेहतरी से चलेगा।


सपने में भिखारी देखना मतलब एक सकारात्मक सपना है।
यदि किसी सपने में  जब आप सोये होते है। एक गहरी नींद अपने आगोश में लिये होती है। उस समय ब्यक्ति अचेतन अवस्था मे होता है। यदि उस अचेतन अवस्था मे ब्यक्ति किसी भिखारी को देखता है तो यह एक सकारात्मक सपना है। इस सपने का मतलब अपनी सोच को ठीक करना है। ये अपने विचारों उच्च करना है । किसी के प्रति भिखारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल नही करना है। भिखारी शब्द  ऐसा है जिससे हीन भावना प्रकट होती है। हींन भावना एक बार दिल दिमाक में जन्म ले लेती है फिर उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल होता है। यदि किसी सपने में भिखारी देखा तो हो सकता है कि आपके अंदर भी होंन भावना प्रकट हो गयी हो। भिखारी सपने में देखने का मतलब  कोई आपके प्रति गलत विचार रखता हो इस वजह से समाज मे आपका आदर सम्मान कम हो रहा हो इस वजह से भी सपने में भिखारी दिखाई देते है। सपने में भिखारी देखने से व्यक्ति
गृभ नही होता है। वह तो एक समझदारी की और बाढता है।

 भिखारी क्यो बनता है /Bhikhari kyo banta he hindi

भिखारी क्यो बनते है। भिखारी कोई  खुशी से नही बनते है। भिखारी हर व्यक्ति नही बनता है। भिखारी गरीब होने के बाद भी व्यक्ति नही बनता है। भिखारी बनने के लिये भी बहुत बड़ा दिल चाहिये। भीख मांगना भी आसान काम नही है। इसके लिये दिल को बड़ा करना पड़ता है। बहुत से लोग पैसे के अभाव में मर जाते है। पर उन्हें भिखारी बनना  पसन्द नही है। आखिर भिखारी बनना भी सबके वश की बात नही है। भिखारी एक ईमानदार ब्यक्ति होता है। यदि वो ईमानदार नही होता तो वह गलत काम भी कर सकता था। लेकिन उसने गलत काम चोरी वगेरह को न अपनाकर भीख मांगनी शुरू की । इतना तो है कि वह चोरी से बेहतर है। समाज मे कहा भी जाता है कि चोरी क्योकि मांग लेते तो हम ऐसे भी आपको ये चीज दे देते। कहते है कि भिखारी आदमी के कर्म उसको बनाते है जो आजकल हर जगह लागू नही हो सकता है। क्योकि अच्छा भला ब्यक्ति भी भीख मांगते मिल जायेंगे । भीख को इन्होंने अपना रोजगार बना दिया है। जब कोई काम नही मिलता है तब ये लोग भीख मांग लेते है। ये  गरीबी से लाचारी से भीख नही मांगते है। बल्कि उसको धंधा ब्यवसाय बना दिया है । काम भी कुछ नही करना है। सिर्फ थोड़ा घूमना है शाम तक चार पांच सौ रुपये जेब मे आ जायेंगे। कही तो भोजम भी मिल जाता है।
काम करने में मेहनत बहुत लगती है। समझो ज्यादातर भीख मांगने वाले भिखारी कम पढ़े लिखे होते है वे मकान का काम नही कर सकते है।रोड पर काम नही कर सकते है  क्योंकि मेहनत बहुत ज्यादा है। इसलिये आसान सा काम भीख मांगना लगता है। उसमें जेब से कुछ लगता भी नही है। 




भीख मांगना कितना सही है / bhikh magna kitna sahi he hindi

भीख मांगना बिल्कुल सही नही है। भीख उन्ही को मांगनी चाहिये जो पूरी तरह से घर से सन्यास ले लिया हो। किसी से कोई रिस्ता नही हो। सिर्फ सिर्फ धर्म के काम मे लगा ब्यक्ति यदि भीख मांगता है उचित है। हिन्दू धर्म मे उसको भीख नही कहते है। वह भिक्षा होती है। जिसको ब्यक्ति अपने अपने कर्म  सुधारने के लिये देता है। यह दान पुण्य की श्रेणी में आता है। जो लोग धर्म के मार्ग में चलते है। उन्होंने सन्यास लिया है।ऐसे ब्यक्ति देश के लिये महान होते है। वे चाहे तोबदेश के लिये बड़ा से बड़ा काम कर सकते है।अपनी भक्ति की शक्ति उनको देश प्रेम के लिये दे सकते है। जिहोने पूरी तरह से सन्यास लिया है उनको भिक्षा देने से परम् आनंद की अनुभूति होती है। क्योंकि वे भगवान के वन्दे होते है। यह हम मानते है और यह सही भी है। क्योंकि वे दिनरात
परमात्मा की भक्ति में लीन रहते है। उनको देखकर ही ओर प्रमाण करके ऐसा लगता है कि हमारे  आधा पाप कम हो गये है। जो लोग सही में  साधु है सन्यास लिया है उनकी समझ मे बहुत इज्जत है। इज्जत करनी भी चाहिये। आखिर उन्होंने भक्ति का मार्ग चुना है जो सब के लिये हितकर है।।।


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