अकेलापन मानसिक बीमारी का संकेत सावधान ये खतरनाक कब हो सकता है / Akelapan mansik bimari ka sanket savdhan ye khatarnak kab ho sakta he hindi

अकेलापन मानसिक बीमारी का संकेत सावधान ये खरनाक कब हो सकता है / akelapan mansik bimari ka sanket Savdhan ye khatrnak kab ho skta he hindi

आजकल जैसे कि कंप्यूटरयुग चल रहा है। हर काम कंप्यूटर लेपटॉप मोबाइल से हो रहा है। कम्प्यूटर  मोबाइल बीसवी सदी का उभरती चीजे है। जिनके बिना काम करना मुश्किल हो रहा है। असल मे इसने जिंदगी को आसान बना दिया है। काम की गति पहले से बहुत बढ़ गयी है। ऊपर से घर बैढे पढ़ी से लेकर नॉकरी तक सारे काम घर बैढे हो रहे है। आदमी अकेले जिंदगी जी रहा है इस लगता है। लेकिन इस नही है। उसके साथ एक बड़ा नेकवर्क जुड़ा होता है। जिससे ग्रुप मीटिंग करना आसान हो गया है। कहने का मतलब है कि ब्यक्ति अकेलेपन का  आदी होता जा रहा है। लेकिन वो अकेला नही है। वह अपने ग्रुप से जुड़ा है। काम हो रहा है वह काम कर रहा है। 

अकेलापन मानसिक बीमारी का संकेत कब / Akelapan mansik bimari ka sanket kab
अकेलापन मानसिक बीमारी का संकेत तब बन जाता है। जब ब्यक्ति अपने आसपास के लोगो से मिलने जुलने से कतराने लगता है। वह अंदर ही अंदर घुटता है। अकेलापन उसको खाये जाता है। असल मे वह बाहर वालो से मिलना नही जाता है। उसके अनेक कारण हो सकते है। जैसे कि शिक्षा में असफलता नॉकरी में असफलता या ज्यादा काम का दवाब । बहुत बार किसी अंदुरुनी बीमारी के कारण भी इस हो सकता है। जब कोई ब्यक्ति अपने काम मे सफल नही होता है तो वह अपने भाग्य को दोषी मानने लगता है।
दोषी मानने की वजह से उसके काम रुक जाते है। वह अपने को अपराध बोध समझने लगता है। उसका कारण असफलता तो है साथ ही उसकी नासमझी भी है। जब ब्यक्ति समझ रहा है कि अमुक काम उसके बस का नही है तो उस कार्य को उसे छोड़ देना चाहिये और किसी नये काम की तलाश या सृजन में लग जाना चाहिये। यदि वो ब्यक्ति इस करता है तब वह की दवाब में  रही रहेगा। वह उन्नति करेगा आगे बढ़ेगा। यही दुनिया की रीति है यदि इस रीति पर ब्यक्तिनचलता है तो वो किसी मानसिक विकार में नही फास्ट है अन्यथा वह मानसिक विकार में फंस कर जिंदगी बेकार कर लेता है। एक दिन वह ब्यक्ति अकेलेपन को अपना लेता है। लोगो से मिलना जुलना उसको पसन्द नही होता है। धीरे धीरे जब समय ज्यादा होने लगता है तोभवः मौत को आमंत्रण करता  है कयोंकि वह अपने को पूरी तरह से टूट महसूस करता है।

अकेलापन को जिंदगी से कैसे दूर करे / Akelepan ko jindgi se kese dur kare hindi

अकेलापन  को जिंदगी से  दूर करने का उपाय बहुत ही सरल है। अपने जीवन मे वही काम कीजिये। जिनमे आप
आसानी से कर पा रहे है। जो चीजे लंबे समय तक आपकी
समझ मे नही आ रही है या उन चीजो को करने में आप अपने को असफल मानते है या वो चीजे आपसे नही हो पा रही है। पढ़ाई नही हो पा रही है।नॉकरी नही मिल रही है। ब्यापार नही चल रहा है। ऐसे अनेक समस्याये है। इसका एक ही उपाय है यदि एक नही चलता है तो दूसरे पर हाथ आजमाइये। निराश नही होना है। निराशा किसी समस्या का हल नही है। यदि आप कुछ न कुछ करते है तो समस्याये आएगी लेकिंन समाधान भी आएंगे।इसलिये कभी भी अकेलेपन को अ अपनाये। इससे जितना हो सके दूर रहे। समाज के साथ मिलजुल कर कार्य कीजिये। यही इस समस्या का मेरी नजर में हल है।

अकेलापन आत्महत्या का कारण कब बनता है/ Akelapan aatmhatya ka karan kab banta he hindi

अकेलापन  आत्महत्या का कारण उस वक्त बन जाता है। जब ब्यक्ति अपने को रोगी निराश हताश समझने की भूल कर बैठता है। जब उसको अपने किये कार्यो से संतुष्टि नही मिलती है बल्कि क्रोध अंदर ही अंदर बढ़ता है। यही चीज है जो ब्यक्ति को अकेलापन में आत्महत्या के लिये उकसाती है। दूसरी बात इससे तब ब्यक्ति बच सकता है जब कोई उसको गाइड करने वाला सही ब्यक्ति मिल जाय। जो प्यार दुलार से उसको समझे ।अपनी बाते उसको समझाये और उसकी बातों को बड़े प्यार से समझे। निराशा को समाप्त करने के लिये उसे ऐसे टिप्स दे जिससे वो  अपने को इस दुनिया का महत्वपूर्ण हिस्सा समझे। जैसे कि उसके बिना यह दुनिया अधूरी है। उसकी दुनिया को बहुत जरूरत है। दुनिया को लोग उसको चाहते है लेकिन उसके लिये उसको दुनिया से जुड़ना होगा। यही करके अकेलेपन की समस्या से निपड सकते है।

अकेलेपन को दूर करने के टिप्स /Akelepan ko dur karne ke 5 tips

1  परिवार के साथ मिलजुल कर रहे। पड़ोसियों से तालमेल बना कर रखे। वही लोग आपकी कोई समस्या आने पर मदद करेंगे।
2 स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
3 एक्सरसाइज जरूर करे।
4 योग को जीवन का हिस्सा बनाये
5 भोजन समय पर जरूर खाये।
6 घूमने जरूर जाये।
7 ग्रुप में काम कीजिये। किसी ग्रुप को जॉइन कर सकती है।
8  स्नान रोजाना कीजिये।
9  भोजन में पका व  सलाद जरूर शामिल कीजिये।
10 प्रेम से लोगो से बातें कीजिये। दुसरो की हर तरह से मदद कीजिये।

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