ऋतु तेली की कहानी
ऋतु एक 5 साल का बच्चा है। वह अपनी दोस्त तेली के साथ पहली क्लास में पढ़ता है। ऋतु जिद्दी किस्म का बच्चा है। देखने मे सुदर ऋतु सबको अपना बना लेता है। वह तेली को खूब पसंद करता है। तेली उसकी बेस्ट फ्रेंड है।
उसके साथ वो पढ़ती है। ऋतु तेली एक साथ स्कूल जाते है।
तेली एक लड़की है। लड़की होने की वजह से ऋतु की मम्मी उसे बहुत पसंद करती है। वो दिन में हो सपने देखने लगती है।
ऋतु की मम्मी को तेली अपनी छोटे से गुड्डे के लिये गुड़िया के रूप में पसन्द करती है। आज उसकी मम्मी बहुत खुश है। जब से उसके मन मंदिर में तेली को लेकर ये ख्याल आया तब से वह ऋतु व तेली दोनों से खुश रहती है। जब तेली खेलने के लिये ऋतु के घर आती है तब ऋतु मम्मी उसको खूब बढ़या नाश्ता कराती है। वह अब उस नन्ही सी गुड़िया को अपनी उसने वाली भविष्य की बहू के रूप में देखने लगी है।
उधर ये बात जब तेली की मम्मी को पता चली तो वह बहुत खुश है। आज उसने मन मे भी ऋतु को लेकर बहुत से विचार आने लगे है। वह यह सोच कर कांप
जाती है कि वो कैसे अपनी नन्ही सी गुड़िया की विदाई करेगी। आज उनका मन एक तरफ तो प्रसन्न है। दूसरी तरफ वो ये सोच कर चिंता में पड़ जाती है। आखिर छोटी सी गुड़िया का सवाल है।
लड़की जब बड़ी भी हो जाती है तब भी उसकी विदाई के समय मातापिता तो रोते ही है। आज उनके घर की लाडली की विदाई जो है। आज तेली अपने गाँव दूर रामनगर के किसी गाँव जा रही है। ऋतु की मम्मी व ऋतु उसको विदा करने बस अड्डे आये है। आज दोनों कुछ दिन दूर रहेंगे।तेली ऋतु से कह रही है। समझा रही है कि तू चिंता मत कर मैं बहुत जल्द तेरे पास आऊँगी । फिर हम साथ स्कूल जायेगे व साथ ही खेलेंगे। ऋतु आज थोड़ा निराश है। क्योंकि उसकी नन्ही तेली आज गाँव जो चली गयी है।
2. बच्चों की मनोरंजन कहानियां
राजा और सानू की कहानी
एक राजा था । उसका नाम वीर विक्रम था। वह बहुत ईमानदार था। एक दिन राज्य का हाल जानने को वह
छुप कर बहरूपिया का भेष बना कर अपने राज्य की
राजधानी में गया। वहाँ उसने देखा कि एक गरीब मा का बच्चा भूख से तड़प रहा था। उस बच्चे का नाम सानू था।उसकी माँ उस बच्चे को साथ लेकर भिक्षा मांग रही थी। पर कोई भी उसको भिक्षा नही दे रहा था। उसका कारण यह था कि शहर के लोगो का ब्यापार ठीक से नही चल रहा था। वे मंदी की चपेट में आ गये थे।
इसलिये उनको अपना घर चलाना भी मुश्किल हो रहा था। तब राजा ने उस महिला से पूछा कि तुम कहा से आयी हो। वह महिला बोली मैं सुदूर गाँव से घूमने आयी थी।
लेकिन जो पैसे लायी थी , वो सब खर्च हो गये है। राजा ने पूछा वो कहा खर्च किये । महिला बोली मेने लालच में एक जगह पैसे दुगने करने की बात हो रही थी । तब मैंने पैसे दुगने करने के लालच में वह पैसे जुए में हार गयी। अब गाँव दूर है।
भोजन खरीदने को पैसे नही है। राजा बहुत अच्छा था। उसने उसकी मदद की। राजा ने सानू को दही चूड़ा एक दुकान से खरीद कर दिया ।सानू दही चूडा खा कर बहुत खुश हो गयी। राजा ने उसकी माँ को भी भोजन दुकान से खरीद कर दिया। वे दोनों राजा से प्रसन्न थे। उन्होंने राजा को प्रणाम किया। राजा भी उनको भोजन खिला कर बहुत खुश था। उसे अपने राज्य के हालात पता चल गए थे।उस दिन से राजा ने राज्य में जुआ बन्द करा दिया। राजा ने उस महिला से कहा जुआ कभी मत खेलना। यह बुरी बात है। जुआ में आदमी अपना घर, गहने, जमीन सब बेच देते है। इसका नशा बहुत बुरा है। बच्चों अपनी जिंदगी में कभी भी जुआ मत खेलना। जुआ एक बुरी लत है। इससे घर उजड़ जाते है। जुआ से अमीर भी गरीब हो जाते है। इसलिये आज ये सबक ले, लो कि जिंदगी में कभी भी जुआ नही खेलोगे।
बच्चों कहानी से सबक क्या मिलता है। कहानी से यह सबक
मिलता है कि जुआ नही खेलना चाहिये।
3 बच्चों की मनोरंजन कहानियां
शेर गिलहरी की कहानी
बच्चों आज हम आपके लिये शेर और गिलहरी की कहानी लेकर आये है। एक था फाटो का शेर। शेर का फाटो के पूरे जंगल पर उसका राज्य था। उसके राज्य में सभी जानवर उससे डरते थे। वो बहुत ईमानदार और होशियार था। लेकिन उसने कभी किसी जानवर का शिकार नही किया। बच्चों तो वो खाता क्या होगा। शेर तो जंगल के जानवर को मार कर ही अपना पेट भरते है। उसने एक दिन सभा बुलाई । उसकी सभा मे जंगल के सभी जानवर हाथी बिल्ली सियार कुत्ता चूहा हिरन जैसे जानवर आये । जब सब जानवर आ गये ।उसके बाद शेर जो फाटो के जंगल राजा को बुलाया गया।
उसके बाद उसके बॉडी गार्ड भी चल रहे थे। उसके बॉडी गार्ड में एक तरफ सियाल चल रहा था। दूसरी तरफ कुत्ता
चल रहा था। जब शेर मीटिंग में पहुँचा तो वहां जानवरो ने
जंगल के राजा के लिये मंच बना कर रखा था। सियार ने बड़े शान से शेर से कहा आइये महाराज सिँहासन पर बैठिए। शेर जाकर सिंहासन पर बैठ गया। शेर बोला आजतक मेने बहुत पाप किये है। अब में पाप नही करना चाहता हु।आप लोग मुझे माफ़ कर दीजिये। शेर की ऐसी
दरियादिली बात सुन कर सभी जानवर खुश हो गये। अब उन्हें पता हो गया कि शेर उन्हें नही खायेगा। उसी मीटिंग में गिलहरी भी थी वो बोली कि हम तुम पर कैसे विस्वाश करे।
शेर बोला देखो अब में बूढ़ा हो गया हूं। अब ज्यादा एक दो साल ही शिकार कर पाऊंगा। इसलिये मेने सोचा कि मरने से पहले कुछ अच्छे कर्म तो कर लूं। साथ ही जंगल के प्राणियों से माफी भी मांग लू। जिससे में अपना अगला जन्म सुधार लू। जंगल का राजा का पद भी बहुत कठिन होता है। अगले जन्म में मैं गिलहरी जी अपना पक्का घर बना कर रहना
चाहता हु। मैं अगले जन्म में शाकाहारी भोजन ही ग्रहण
करना चाहता हु।।
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