कविता के प्रेमी यार के किस्से / kavita ke premi yar ke kisse

 कविता के प्रेमी यार के किस्से /Kavita ke  premi yar ke kaisse hindi


कविता  के यार गाजर मूली अचार  संग रोटी की कहानी बड़ी मार्मिक है।  एक कविता की कहानी हमने पहले लिखी थी। एक कविता की कहानी आज वर्णन कर रहे है। कविता
एक लड़की एक बहन एक बेटी एक बहु एक बेटी एक मौसी एक माता कोई भी हो सकती है। लेकिन हमारी कविता एक काल्पनिक कहानी है । जिसको जीवंत करने का काम हमने
अपनी कलम से किया है। यह कहानी किसी कविता की है जो दूर प्रदेश में रह रहे अपने आशिक का ििइंतजार करती है। कविता का आशिक उसे छोड़कर दो महीने से बाहर प्रदेश कमाने गया  है। आज कविता को उसकी याद आ रही है। कविता उसको अपना दिल दे बैठी थी। बात उन दिनों की है जब कविता आठवी में पढ़ती थी। कविता कृषि क्लास में अपनी क्यारी की खुदाई कर रही थी। उसी समय एक लड़का  प्रीतम आया ओर उसको खुदाई करते देख कर  उसकी मदद को हाथ आगे बढ़ाया। कविता ने मना किया लेकिन वो नही माना । आखिर वो प्रीतम था जैसा नाम था वेस्या ही उसका काम था। प्रीतम बहुत सज्जन था। वो तो सिर्फ कविता की मदद करना चाहता था। कविता बेचारी को क्या पता कि ये मदद बहुत भारी पड़ने वाली है। लेकिन कविता की किस्मत खुशनसीब थी की जो प्रीतम उसकी मदद को आया था वो एक सज्जन ब्यक्ति था। कविता एक स्ट्रांग लड़की थी ।  लेकिन आज किसी सज्जन के सामने
वो हार महसूस कर रही  थी। वो अंदर ही अंदर पिघल रही थी। मानो कह रही हो कि ये क्या हो रहा है। जैसे गर्मी में बर्फ पहाड़ो से पिघलती है। वही हाल कविता का भी था। कविता एक नेक इंसान थी। हमे भी उसकी परिस्थति देख कर दया आ रही है। कविता आखिर थी ही ऐसी। सभी उससे प्यार करते थे। घर के अंदर से बाहर तक हर कोई उसकी छलक पाने को बेताब रहता है। आज उस कविता को प्रीतम से प्यार हो गया। एक दिन कविता को प्रेम में देखते ही प्रीतम समझ गया कि कविता के दिल मे कुछ चल रहा है। उसने कविता से पूछा कि कविता तुम कैसी हो । कविता को कुछ नही सुझा । वह सकुचाई लज्जायी ओर  वहां से चली गयी। आखिर वो कविता थी। प्यार करना उसे नही आता था। उधर प्रीतम भी कुछ समझ नही पा रहा था । उसको कविता की हरकत से ज्यादा उस पर प्रेम आ रहा था। कविता थी ही ऐसी।  एक दिन उसकी हरकत देख कर कविता सकुचाते बोली प्रीतम क्या बात कुछ बदल से गये हो। एक प्रीतम थे जिनके पास कोई जवाब नही था। वो तो दिल ही दिल मर कविता को चाहते थे पर क्या करे मजबूर दिल दिमाक मुँह कुछ कहने को राजी नही था। क्योंकि प्रीतम एक सज्जन लड़का था सो एक दिन वो प्रदेश कमाने चला जाता है तब उसकी याद कविता को आती है। वह उज़क  इंतजार करती है। कविता की शादी की बाते चल रही है। कविता खामोश है उसको कुछ समझ नही  आ रहा है कि क्या करे। वो तो हर दिन अपने प्रीतम की याद में तड़फती है। उधर  उसका प्रीतम भी कविता की याद में एक दिन एक साल समान काट रहा है।


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