पॉल्युशन पर निबंध
पॉल्युशन जिसको हिंदी में प्रदूषण कहते है। प्रदूषण कैसे फैलता है। जब वायु ,जल, मिट्टी में फेक्ट्रियो, मोटर वाहनों से निकलने वाले जहरीली हानिकारक कार्बन उत्सर्जन तत्व मिल जाते है। जिनमें बहुत से दूसरे हानिकारक मेटल भी होते है।जो स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक है। इस तरह के वातावरण में जीवन जीना स्वास्थ्य के लिये रोगो को आमंत्रण देना जैसा है। लोगो की औसत आयु घट जाएगी।
वायु पॉल्युशन
वायु पॉल्युशन उसे कहते है जब हमारा वातावरण कल कारखानों से निकलने वाले जहरीले धुंआ से जहरीला हो जाता है। उस वातावरण में जहरीले धुंवे जिनको साइंस की भाषा मे कार्बन कण कहा जाता है। ये कार्बन कण हमारे वातावरण के वायु मंडल में घुल जाते है। जिससे वातावरण जहरीला हो जाता है। वातावरण जब हमारा जहरीला हो जाएगा, तो वायु भी जहरीला हो जाएगी। जिससे घर के बाहर जाने पर शरीर मे ये जहरीले कार्बन कण जो वातावरण में घुल गये है । मुँह व नाक रास्ते शरीर के अंदर चले जाते है। ये कार्बन कण केन्सर , किडनी, सांस, व दूसरे रोगो का कारण बनते है। हम जब छत पर कपड़े सूखने डालते है तो वे इन कार्बन कणों के कारण काले हो जाते है।
जल पॉल्युशन
जल प्रदूषण उसे कहते है। जिसमे कार्बन कण जल में मिल जाते है। जल में यह वातावरण से मिलते है। दूसरे फेक्ट्रियो के केमिकल पानी जो नालों के माध्यम से नदियों में मिल रहा है । ये प्रदूषित पानी सिंचाई के माध्यम से खेती में चला जाता है । इस तरह से यह पीने के पानी को दूषित कर रहा है। फेक्ट्रियो का पानी जमीन के अंदर भी जा रहा है। यह इसलिये हो रहा है कि इस गन्दे पानी की कोई समाधान नही था। लेकिन अब सरकार ने इस ओर शक्ति दिखाई है। अब इस कैमिकल पानी को फ़िल्टर करके खेती के काम मे लाया जाएगा। क्योकि यह पीने वाले पानी को दूषित कर रहा है। इसलिये अब बहुत जल्द इस समस्या का अंत होगा। । इस
पानी मे मेटल की मात्रा अधिक होने से यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक था।गन्दा पानी फेफड़े व किडनी, सांस के रोगों का कारण बन सकता है। फेफडो व किडनी को डैमेज कर सकते है। जिससे आदमी की ओसत उम्र कम हो जाती है। बिमारियों की वजह से वह परेशान रहता है। जल प्रदूषण बहुत खतरनाक है।
मिट्टी प्रदूषण
मिट्टी प्रदूषण उसे कहते है। जो वातावरण से जल और वायु को प्रदूषित करते है। दूसरा कल कारखानों के धुंवे का असर हमारी जमीन पर भी पड़ता है। कार्बन कण वातावरण से जमीन पर आ जाते है । जमीन पर यह मिट्टी से मिल जाते है। जमीन में मिट्टी में जाकर मिट्टी को प्रदूषित करने का काम करता है । फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त गन्दा पानी भी जमीन को दूषित कर रहा है। इसी को मिट्टी प्रदूषण कहते है। जो गाड़ियों व फेक्ट्रियो के कार्बन कण मिट्टी में आकर मिल जाते है। उस मिट्टी से जो अनाज उपजता है। उस अनाज में मेटल की संख्या जरूरत से ज्यादा हो जाती है। उसको हम खाते है। दिल्ली में यमुना किनारे जो बहुत सुंदर सब्जी होती है उसमें भी ये कह कार्बन कण पाये गये थे।
पॉल्युशन से कैसे बचा जाय
पॉल्युशन से बचने का आसान सा तरीका यह है कि हम अपने आसपास बड़ी मात्रा में पेड़ पौधे लगाये। दूसरा तरीका यह हो सकता है कि कारखानों को इस तरह से चलाया जाय कि उनका गन्दा केमिकल का पानी नदी या मिट्टी में न मिलने पाये। यह मिट्टी में मिलने से स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक है। यह अनेक बीमारियों को जन्म देता है। कारखाने में इलेक्ट्रिक् का इस्तेमाल होने चाहिये। कोयले से कारखाने नही चलाने चाहये। कोयले से कारखाने चलाने से कार्बन उत्सर्जन ज्यादा होता है। आज हमारे देश की सरकार 5 साल से इस पर बहुत अच्छे तरीके से काम कर रही है। वह नदियों को साफ कर रही है।
शायद आजाद भारत मे किसी ने यह कल्पना भी नही की होगी कि नदिया भी कभी साफ हो सकती है। लेकिन ये हमारे देश मे हो रहा है। क्योंकि हमारे देश मे एक मजबूत सरकार प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेत्रवत में चल रही है। जो वातावरण में हर किस्म के प्रदूषण को समाप्त करना चाहती है। सीएनजी गाड़िया व इलेक्ट्रिकल गाड़िया देश मे चल रही है। ये इसी का परिणाम है। यदि सरकार इसी तरह से काम करती रही तो एक दिन हमारे देश से पॉल्युशन की समस्या का अंत होगा। लेकिन यह हमारे देश की ही समस्या नही है। प्रदूषण पूरी दुनिया की समस्या है । हमे इसे पूरी दुनियां से समाप्त करना होगा। इसके लिये जन भागीता भी जरूरी है। आज लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है । आइस पिघल रहे है। जो एक खतरनाक संकेत पर्यावरण के लिए है।
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