bhartiya kavita senik ko border par niharti hui hindi /कविता सैनिक को बॉर्डर पर निहारती हुई ।

Bhartiya Kavita senik ko border par niharati hui/कविता सैनिक को बॉर्डर पर निहारती हुई।

में हु कविता 
में कवि के दिल में बसती हु
में कवि के मुँह से निकलती हु
में कवि के उंगली पकड़ कर चलती हु
रात दिन उनको निहारती हु
क्योकि में उनको अपना दिल दे बैठी हु।
मैं हु कविता
मेरी प्यारी सी आवाज सुनकर
मेरे प्यारे देश भक्ति के  गीत सुनकर
देश कीरक्षा हेतु 
सैनिक बॉर्डर                                                          ।पर मर मिटने को तैयार  ।                                          

 कोई आगे बढ़ नही सकता 
कोई मेरे देश पर कुदृष्टि डाल नही सकता
मेरी कविताये उनको यही संदेश देती है
जियो देश के लिये मरो देख के खातिर
देश प्रेम से बढ़ कर कोई प्रेम नही
देश पर बलिदान देने से कोई बड़ा सम्मान नही।
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क्योकि मै कविता हु।
पेम के गीत गाती हु 
कठिंन समय उनका 
प्यार के गीत गा कर बिताती हु
दुःखो कष्ट से उनका मन हल्का करती हूं
क्यो की मै कविता हु।

जब वे घर से बॉर्डर की ओर चलते है
मन जरूर भारी रहता होगा
प्यारे से बच्चों को रोते देखते  सकुचाती पत्नी को            जब निहारते है
दिल थोड़ा सा गमगीन होता होगा
पर जब बात देश की रक्षाआती दिल पत्थर फिर बन जाता।

मैं हु कविता
दिन रात बॉर्डर पर रहती हूं
सेनिको के साथ सर्द गर्म सब झेलती हु
पहाड़ो पर पैदल चलती हु
रेतीले रेगिस्तान में मस्त घुप में तपती हु
मेरे अंदर देश प्रेम है। इसलिये सेनिको के साथ रहती हूं।




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