मेरा पहला प्रेम सीतल हिंदी लव स्टोरी / Mera pahla prem sital hindi love story
बात उन दिनों की है जब में भैरवकुण्ड में नॉकरी करता था। उस समय शायद मेरी उम्र 21साल की रही होगी। में अपनी नॉकरी सीधे धन से कर रहा था।मै एक सीधा साधा लड़का था जैसे कि आम लड़के होते है। लेकिन मै उन लड़कों में नही था जो थोड़े से उदण्ड किस्म के होते है। मेरी शालीनता ही मेरी पहचान बन गयी थी। जध भी मैं जाता बहुत सम्मान मिलता। भैरवकुण्ड के लोग मुझे बहुत अच्छे लगते थे।
वहां बहुत सी जातियों निवाश करती थी। जिनमे हिंदी भाषी व नेपाली भी थे। मेँ भी उनमे से एक था । आज में अपनी ड्यूटी करने के बाद रामु की दुकान में बैठ कर चाय की चुस्की ले रहा था। क्योंकि मै एक नवजवान था। जैसा कि जवानी में विपरीत लिंग के प्रति आर्कषण होता है मेरा भी एक लड़की के साथ आर्कषण हो गया। क्योंकि मै बहुत ही अपने को स्वाभिमानी समझता था।
सोचता था मेँ क्यो किसी से बात करूं। मुझे डर था कि कही मेने बात करी वो बुरा मान गयी तब क्या होगा। यही सोच में कुछ नही बोला। लड़की ने मुझे देखा शायद उसे मैं पसन्द आ गया था। उसका एक कारण यह भी था कि उन जगहों में ज्यादा प्रेम विवाह होते थे होते है आज भी। वह का समाज ही कुछ इस तरह का है। रूढ़िवादी लोग वह नही रहते है। मै अपनी ड्रेस बहुत सुदर रखता था। देखने मे एल लम्बा कद का ब्यक्ति था। मेरी ऊँचाई 6फिट थी। एक लंबा ऊँचाई वाला गोरा सुंदर लड़का हर किसी को पसन्द आ जाता। मै वहां जध भी जाता सब यही पूछते की शादी हो गयी क्या। बुजर्क भी यही पूछते थे।
शायद वे अपनी घर की लड़की से मेरा रिस्ता करना चाहते थे। लेकिन मेरी नजर में कोई और था। जो चाय की दुकान में मिली थी। एक नजर में मैने उसे पसन्द किया था। लेकिन अपनी मजबूरी की वजह से मैं उससे बात करने मे हिचकिचाया जिससे मेरी उससे बात नही हो पाई।
एक दिन मैं बस में यात्रा करने चढ़ा था कि अचानक वो दिखाई पड़ी। मै बहुत प्रसन्न हुआ। शायद ऐसा लगा कि मेँ उसको दिल से चाहने लगा ।अब बात किस्मत के कारनामे की मुझे सीट भी उसके बगल की मिली।जब में उसके बगल में बैठा तो मुझे उससे स्पर्श करने में डर लग रहा था। मेँ चाह रहा था कि थोड़ा स्पर्श हो जाय किसी भी तरह पर मेरी हिम्मत जबाब दे गयी। मै उसे स्पर्श नही कर पाया।
लेकिन जब वो उतरी उस समय मेरी किस्मत साथ दे गयी। उतरते समय वो थोड़ा सा लड़खड़ा गयी।जैसी ही वो लड़खड़ाई मेने उसे हाथ से पकड़ कर गिरने से बचा लिया। वो मुझे थैंक्यू कह कर चली गयी। अब में हमेशा खाली समय मे गाड़ियों में यात्रा करने लगा।वो एक बार फिर मिल गयी।इस बार मुझे हिम्मत आ गयो। मेने मुस्कराकर उससे पूछ ही लिया कि कैसी हो। वो बोली टिक हूं।
मेने राहत की सांस ली। एक तो मुझे जो डर था वो भाग गया था। अब मेरी हिम्मत परवान चढ़ गई थी। आखिर वो मेरा पहला प्यार था। मेने हिम्मत करके उससे उसका नाम भी पूछ लिया । उसने अपना नाम मुझे सीतल बताया। वो दिखने मेँ भी सीतल ही थी। नयन उसके तीखे थे। हिरनी सी उसकी चाल थी। आज में उसका दीवाना था। में उसको पाना चाहता था लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि उसकी शादी हो गयी। इस तरह से मेरी प्रेम कहानी अधूरी रह गयी।।
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