मोहनी बच्चों की कहानी / Mohini bachcho ki khani hindi
एक थी मोहनी उम्र 4साल। मोहनी अपनी मां को बहुत प्यार करती थी। मोहनी की माँ खेतो में जब काम करने जाती तो मोहनी को भी साथ ले जाती। मोहनी की मां खेत मे काम करती ओर मोहनी उसको देखती रहती। इसी तरह मोहनी बड़ी होने लगी। जब मोहनी 6 साल की हो गयी तो मोहनी को उसकी मां बापू ने स्कूल में दाखिला दिला दिया। मोहनी समझदार थी । वह जब स्कूल गांव के दूसरे बच्चों के साथ जाती, तो रास्ते मे एक कुत्ता का बच्चा उन्हें हमेशा परेशान करता था। बच्चे उस कुत्ते से परेशान रहते थे। एक दिन मोहनी ने हिम्मत दिखाई ओर एक डंडा लेकर कुत्ते के मालिक के घर पहुँच गयी । मालिक ने जब सब बच्चों को अपने घर पर डंडों के साथ देखा तो वह चॉक गया। उसमे कुछ बच्चे बड़े भी थे, लेकिन बोला कोई भी नही। तब मोहनी ने हिम्मत दिखाकर कुत्ते के मालिक से कहा कि अपने कुत्ते को बांध कर रखे । यह जानवर है । यह किसी को भी काट लेगा तो इंजेक्शन लेने पड़ सकते है । इससे एक बीमारी होती है जो मास्टरजी ने स्कूल में बताई थी। उसी समय सोनू बोल पड़ा कि उस बीमारी का नाम रेबीज है कुत्ते के काटने पर रेबीज के टीके लगाने पड़ते है। जो सरकारी अस्पताल में फ्री मिलते है। मोहनी की बात सुन कर कुत्ते के मालिक को अफसोस हुआ। तब कुत्ते के मालिक को अपनी गलती का मानी और उस दिन से वह कुत्ते की निगरानी करने लगा। जब गलतीं का अहसास हुआ उसने उस दिन से कुत्ते के बच्चे को बांध कर रखा। बच्चों कहानी कैसी लगी शेयर करे।।
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