दो भाइयों की लघु कहानी / Two brothers short story hindi

 दो भाइयों की लघु कहानी/ Two brothers short story hindi

दो भाइयों की लघु कहानी में हम आज एक ऐसा चरित्र लेकर आये है जो आपको आश्चर्य में डाल देगा। यह चरित्र क्या सिखाता है खुद ही जाने।  राम जी गांव के एक अच्छे ब्यक्ति है उनकी दो बेटे है जिनके नाम  तारूप और पवन है । तारूप पढ़ाई में बहुत अच्छा है लेकिन पवन पढ़ाई में बहुत कमजोर है तारूप का नाम जहा अपने स्कूल में बोर्ड में लगा होता है वही पवन का नाम स्कूल के पिसलग्गु छात्रों में गिना जाता है। तारूप खूब पढ़ाई करता है वह अनेक डिग्रियां अपने नाम किस्म किस्म की करता है लेकिन पवन एक डिप्लोमा होल्डर जैसे तैसे करके पास करता है। तारूप कि किस्मत उसके साथ नही जिसकी वजह से वह अपनी सारी डिग्रियां प्राइवेट तोर पर करता है। हायर सेकेंडरी के बाद सारी शिक्षा उसकी प्राइवेट तोर पर नॉकरी के साथ होती है लेकिन किस्मत साथ न होने के कारण उसकी न तो शादी हो पाती है क्योंकि लडकिया बहुत बार उसके कमजोर हेल्थ के कारण उसको पसन्द नही करती है।जिसके कारण उसकी शादी नही हो पाती है। बेचारा किसी फैक्ट्री में एक कम सैलरी वाली जॉब करता है वही पवन अपनी जिंदगी में मौज लेता है उसके चाचा उसके पिताजी की आर्थिक हालात कमजोर के कारण उसकी शादी किसी नॉकरी वाली समझदार लड़की से कर देते है जो बाद में अपनी मेहनत से सरकारी नॉकरी ले लेती है। पवन की आर्थिक हालात अब अच्छे हो जाते है उसके पिताजी के हालात तो अच्छे होते है लेकिन उनको लड़के का वो सुख नही मिल पाता है जो उनको मिलना चाहिये। दूसरी तरफ तारूप अपने मातापिता का खूब ध्यान रखता है  वह अपने मातापिता की पेसो से लेकर हर तरह से उनकी सेवा करता है। पवन भी सेवा करता है लेकिन उसका हर सेवा या काम मे स्वार्थ  छिपा होता है। बिना स्वार्थ के वह कोई काम नही करता है ओर जब अपना काम निकल जाये तो वह किसी को नही पहचानता है। उसका दिमाक पढ़ाई में नही खांली अपनी आर्थिक हालात सुधारने में लगा रहता है। रातदिन किस तरह पैसे कमाये यही वह सोचता है। उसका जीवन आज पेसो का गुलाम बन  चुका है पेसो ने जैसे उसे खरीद लिया है। उसकी हर बात पेसो से शुरू होती है पेसो पर ही समाप्त होती है। दूसरी तरफ तारूप है जो पेसो को मह्यव नही देता है वह पेसो से ज्यादा अपने जीवन ओर दूसरी सामाजिक चीजो पर ज्यादा महत्व देता है। दोनों में बहुत अंतर है तारूप कि शादी अभी नही हुई है लेकिन उसने अच्छी पढ़ाई की है एक दिन वह बड़ा आदमी जरूर बनेगा। बस किस्मत का साथ चाहिये। तारूप अपने जीवन से खुश है। लेकिन पवन के पास सब कुछ है लेकिन वह ओर ज्यादा कुछ चाहता है जिसकी वजह से वह आज भी अपने जीवन से खुश नही है। रुपयों की माया ने उसका लालच बहुत बड़ा दिया है। उसका एक ही ध्येय है किसी तरह भगवान को प्रसन्न करो ओर अपने जीवन के लक्ष्यों को पूरा करो। भगवान उसकी सृन रहा है उसको उसकी मंदिर  दर्शन का लाभ मिल रहा है।


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