देश मे बढ़ती आवादी ओर घटते रोजगार समस्या / Desh me badhati awadi ghatte rojgar ek samsya hindi
देश मे बढ़ती आवादी घटते रोजगार आखिर कोंन है जिम्मेदार। आज भारत की आवादी उसके खुद के लिये परेशानी का कारण बन गयी है। बने भी क्यो नही । आज देश मे नवजवानों के लिये रोजगार नही है। बेचारे पढ़ लिख कर बेरोजगार बैठे है। करे भी तो क्या करे कोई दिशा दिख नही रही है। मातापिता ने जैसे तैसे पढालिखा तो दिया लेकिन अब पढ़ लिख कर रोजगार के साधन न होने से दुःखी है। जो लोग मेहनती है वह तो कुछ कर के कमा लेते है लेकिन जो लोग मेहनती नही है वह तो बहुत परेशान है।सोचा था पढ़ लिख कर साहब बनेंगे पर क्या यहाँ तो क्लेरकनकी नॉकरी के लिये भी धक्के खाने पढ़ रहे है। कुछ बेरोजगार अपना ब्यवसाय कर रहे है कुछ दूसरे के काम मे सहयोग करके कुछ कमा रहे है। कुछ नॉकरी 10 हजार की कर रहे है। बेचारे सब परेशान है । एक परेशानी पढ़ना भी बन गया, यदि पढे लिखे नही होते तो कुछ नही तो , सब्जी की दुकान टेलरिंग की दुकान कोई छोटा मोटा धंधा कर लेते है। कम से कम पेसो को तो नही तरसते। आज बेरोजगार खासकर जो शिक्षित तबका है वह 40 साल तक भी रोजगार नही मिल पाने के कारण परेशान है। सरकार को इस विषय पर गहन अध्ययन करना चाहिये। जो लड़के गेट जैसा परीक्षा पास किये है वे आज गली में दुकान चलाने को मजबूर है। आखिर करे भी तो क्या करे सब बेरोजगार है नॉकरी कितने के पास है। आखिर बच्चे पढ़ लिख कर कब तक बेरोजगार रहेंगे। अब समय आ गया है कि जनसंख्या पर नियंत्रण के लिये कानून होना ही चाहिये। तभी इन सारी समस्याओं का अंत होगा। आज तो हर नेता हर पार्टी का बेरोजगार की तरफ से मुँह मोड़ कर रखा है । हर पार्टी को कुछ न कुछ बेरोजगारो के लिये करना चाहिये।सरकार के पास अच्छी नीति लेकर जाओ शायद कुछ हो जाय। वास्तव में किसी के पास कोई नीति ही नही है बेरोजगारों के लिये। लोन लेकर बिजनेज़ करने वाले भी लाखों में है । जो गली की दुकान एक समय बढिया चलती थी वो आज चल नही पा रही है उसका कारण जानते हो क्या है सारे बेरोजगारों ने दुकान जो खोल ली है। यह सवाल जितना आसान लगता है उतना है नही। किसी भी पार्टी के पास शायद ही कोई उत्तर हो लेकिन मुझे तो लगता है कि उत्तर होता तो वे कुछ करते । आज हर प्रदेश में अलग अलग पार्टी की सरकार है ओर सभी एक जैसी चल रही है क्योंकि समाधान किसी के पास नही है।
इसे भी पढ़े