कुर्सी (चेयर ) मेरी सक्ति जानो कविता पाठ/ Chair know my power kavita path hindi

 कुर्सी  (chair) मेरी सक्ति जानो / chair know my power  kavita path hindi

मैं कुर्सी हु
तुम सबने मुझको देखा है
मेरी शक्तियां क्या है
ये भी तो जानो।

मैं क्या नही कर सकती
मैं बिना सड़क के
सड़क बना सकती
उस पर बस चला सकती।

मैं  चाहूँ तो एक मिनेट में
महल बना सकती
फिर चाहूं तो महल को
जर्जर दिखा सकती।

मैं कुर्सी हु भाई
मेरे पास असीमित सक्तिया का ठेर है
यदि  मैं उनका दुरुपयोग करू
मैं कुछ भी कर सकती हूं।

मेरी सक्तिया अलग अलग रूप में विराजमान है
उन्ही अलग अलग रुपों से मैं जनता के काम करती
जब मैं डॉक्टर बनती मरीजो को ठीक करती
जब मैं  न्यायाधीश बनती तो लोगो को न्याय देती।

जब मैं पुलिस की कुर्सी पर होती
तो लोगो को भय दिखाती
चोर मेरे नाम से कांपते
मेरी न आने की दुआ जो करते।

मैं  कुर्सी जब राष्ट्पति बनती
तो लोगो को मुझसे 
बहुत सी आशाएं जुड़ती
मैं उनकी वेवजह की सजा को माफ भी करती।

मैं कुर्सी जब प्रधानमंत्री बनती
लोगो को दिलाशा दिलाती
जनधन खाते खुलवाती
उनके खाते में पैसे डलवाती।

लोग मेरे लिये दुआ करते
लेकिन विरोधी मुझे
परेशान करने से नही चूकते
मैं सबको सह लेती ।


बुरा मेने कभी नही माना
मैं जो कुर्सी ठहरी
पावर मेरे पास असीमित
लेकिन मेने एक नजर से सबको देखी

मैं कुर्सी मेरी सक्तिया  अपार
जब में बॉर्डर पर रहती 
दुश्मन के छक्के छुड़ाती
मैं कुर्सी मेरी सक्तिया अपार।






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