प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के मूल मंत्र /Pratiyogi pariksha me safalta ke mul mantr hindi

 प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के मूल मंत्र /Pratiyogi pariksha me safalta ke mul mantr hindi

किसी भी परीक्षा को सफलता आपकी मेहनत ओर किस्मत पर होती है। जिन लोगो का दिमाक तेज होता है ओर जो विषय को समझते है वह कम  पढ़ कर भी देश की बड़ी परीक्षा को पास करने में सफल हो जाते है। कुछ ऐसे होते है जो मेहनत तो करते है लकींन परीक्षा पास नही कर पा रहे है ओर यदि परीक्षा पास भी कर रहे है तो  समय अधिक लगता है साल अधिक लग जाते है उसका कारण विषय को सही तरीके से न समझना है। सबसे बड़ी बात अपनी जिद है। जिद होना अच्छी बात है कि हमे फलां परीक्षा निकालनी है लेकिन जिद का क्या करोगे उसे तो समझ नही है कि जिस तरह से हम परीक्षा की तैयारी कर रहे है उस तरह से कोई भी परीक्षा पास नही की जा सकती है । यदि उस समय ब्यक्ति समझदारी से  काम ले । एक तो वह परीक्षा छोड़ सकता है किसी अन्य चीज पर फोकस कर सकता है दूसरा यदि परीक्षा निकालनी है तो उसे गम्भीरता से लेना होगा। कुछ न कुछ ऐसा करना होगा जो सम्पूर्ण अपने आप मे हो। जो ब्यक्ति सम्पूर्णता की तैयारी करता है वह कोई न कोई परीक्षा अवश्य पास कर लेगा। लेकिंन जो सिंगल तैयारी किसी एक परीक्षा की कर रहा है ओर दूरी ओर ध्यान नही दे रहा है मतलब उज़क ज्ञान अधूरा है। वह असफलता की सीढ़ी पर खड़ा है क्योकि उसके पास एक विषय का ज्ञान है दूसरे विषयो की समझ उसके पास नही है यदि वह एक विषय को नही निकाल पा रहा है तो इसका मतलब वह कोई भी परीक्षा को नही निकल पायेगा क्योकि उसके पास पहले से ही अधूरा ज्ञान है । उसने सम्पूर्णता की कभी पढ़ाई नही की। वह तो केवल परीक्षा पास करने के लिये पढ़ रहा था। इस ब्यक्ति आगे जाकर यदि कोई परीक्षा निकाल भी लेता है तो वह जीवन मे बड़ी सफलता नजे खुद हासिल कर पायेगा ओर न समाज के लिये ही कुछ कर पायेगा। इसी लिये मातापिता व सरकार को भी चाहिये कि ब्यक्ति में सम्पूर्णता का ज्ञान होना आवश्यक है तभी वह खुद व समाज के लिये कुछ कर पायेगा। कोचिंग जाना ठीक है लेकिन खुद जितना ज्यादा सीखोगे वो कोचिंग की पढ़ाई से ज्यादा जीवन मे लाभ देगा। जीवन  में  टोटल कभी भी दूसरे की पढ़ाई पर निर्भर नही रह सकते है। एक इशारा ही ज्ञानी लोगो के लिये काफी होता है। पूरी रामायण पढ़ ली रावण कोंन था । पत चला कि उसे पता ही नही चला । जीवन मे लाभ के लिये तो पढ़ना ही है लेकिन लाभ के साथ समाज के उद्देश्य को लेकर भी पढ़ना चाहिये। जो लोग समाज के उद्देश्य को लेकर पढ़ते है। वे जल्दी सफल होते है क्योंकि वे समाज के लिये कुछ करने का जनून जब उनमे आता है तब वे अपना सब कुछ कुर्वान कर देते है कहने का मतलब है कि अपना 100 प्रतिशत देते है  जो किसी भी परीक्षा को पास करने के लिये
काफी है। आज बच्चे पढते । कुछ तो मानो अपने ऊपर या परिवार या समाज के ऊपर एहसान कर रहे है। उन्हें ऐसा लगता है लेकिन जो गलत है
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